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अब भारत में नया कानून बनना चाहिए, नेताओं के परिवार से एक सेना में जवान चाहिए, सहमत हो तो शेयर जरुर करें
देश के कुछ नेताओं ने,दो चीनी खिलौने एवं दीपावली पर लगने वाली दो झालरों को तोड़कर चीन के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया, वाह नेताजी वाह ।
तुम क्या जानो बाबू ,
शहीद माता- पिताओ का दर्द , 8 महीने की दुल्हन के विधवा होने का दर्द, 2 साल की बेटी पिता के फोटो को देखकर चेहरे पर मुस्कान लिए और ढूंढती नजरो का दर्द,5 साल के बेटे की आंखों में आंसुओं का सैलाब और पिता की चिता को अग्नि देने का दर्द । हमारे देश के नेता जुबानी जंग लड़ने में बहुत माहिर है, देश के भीतर पुलिस मोर्चा संभालती है और सीमाओं पर सैनिक। यह दोनों हमारे देश के सच्चे नायक हैं और हमारे नेता झूठी वाहवाही लूटते हैं । कोरोना काल में पुलिस ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर अपने परिवारों से दूर रहकर दिन रात जनता की सेवा की और लोगों को घरों में रुकने के लिए मशक्कत करते रहे ,और खुद दिन रात कोरोना वायरस से टक्कर लेते रहे। वही हमारे सैनिक इस महामारी में भारत माता की रक्षा के लिए पाकिस्तान एवं चीन से लगी सीमाओं पर दुश्मनों का मुंहतोड़ जवाब देते रहे । इस महामारी के समय हमारे राजनीति के गुरु यानी हमारे देश के नेता अपने घरों में दुबक के छुपे रहे।
यह फर्क होता है ,सच्चे नायकों और हमारे देश के नेताओं में ।
इस महामारी में भी हमारे सैनिक शहीद होते रहे ,और हमारे आला नेता हाथ जोड़कर संवेदनाएं पेश करते रहे ।
भारत चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान वैली में हुई हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हुए । जिनकी आयु 20 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक की थी। युवा फौजी जिन्होंने अपने भविष्य के लिए सुनहरे सपने देखे थे ,और सीने में भारत माता की रक्षा का प्रण लेकर फौज में शामिल हुए थे उनके बारे में आपको मैं बताता हूं। अपने माता पिता का इकलौते बेटे कर्नल संतोष की मां ने कहा- बेटे पर गर्व है, कर्नल संतोष 18 महीने से लद्दाख में भारतीय सीमा की सुरक्षा में तैनात थे।
कुंदन 17 दिन पहले पिता बने थे ,26 साल के शहीद कुंदन ओझा 17 दिन पहले ही पिता बने थे, लेकिन अपनी बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाए।
दीपक की 8 महीने पहले शादी हुई थी, मध्यप्रदेश के रीवा के रहने वाले , दीपक सिंह भी चीन बॉर्डर पर हुई हिंसक झड़प में शहीद हो गए। शहीद दीपक की शादी 8 महीने पहले हुई थी। आखिरी बार वे होली पर घर आए थे।
कांकेर का जवान गणेश कुंजाम शहीद, एक महीने पहले बाॅर्डर पर पोस्टिंग मिली थी वे परिवार में इकलौते बेटे थे।
इसलिए ऊपर मैंने लिखा था, भारत में अब नया कानून बनना चाहिए, नेताओं के परिवार से एक को फौज में शामिल होना चाहिए
जुबानी जंग में माहिर यह नेता जब इनके परिवार का सदस्य फौज में शामिल होगा तो ऊपरवाला ना करें अगर वह शहीद हो जाता है, शहीद हुए सैनिकों के मां बाप के दिल का दर्द का एहसास इनको भी होगा । फिर यह राजनीति के गुरु सैनिकों की शहादत को चुनावी मुद्दा नहीं बनाएंगे । राहत इंदौरी साहब का शेर बिल्कुल सटीक बैठता है ।
सरहदों पर बहुत तनाव
है क्या ।
पता करो चुनाव है क्या ।।
हमारे सैनिक जो शहीद हुए हैं युवा, नौजवान ,इकलौते बेटो की शहादत पर सलाम । इनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी, हमारे सैनिक इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे और आप सब शहीदों के नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होंगे । सलाम है, तुम्हारे माता- पिताओ को, तुम्हारी नई नवेली दुल्हनों को और तुम्हारे मासूम बच्चों को ।
ऐ गुजरने वाली हवा बता
मेरा इतना काम करेगी क्या
मेरे गाँव जा
मेरे गांव में है जो वो गली
वहीं थोड़ी दूर है, घर मेरा ।
मेरे घर में है, मेरी बूढ़ी माँ
मेरी माँ के पैरों को छू के तू
उसे उसके बेटे का नाम बता