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प्रधानमंत्री की चार जातियों - गरीब, युवा, महिला और किसान में गरीब युवती की तीन जातियां होगीं, किसान हुई तो चारो!
निर्माणाधीन सुरंग धंसने से उसमें फंसे 41 मजदूर 17 दिन बाद भले सुरक्षित निकाल लिये गये हों पर सुंरग निर्माण के दौरान किये जाने वाले आवश्यक सुरक्षा उपायों का पता नहीं चला। खबरों से यह नहीं पता चला है कि सुरक्षा उपाय नहीं होना कितनी बड़ी चूक है और है भी कि नहीं। है तो किसी के खिलाफ कार्रवाई की गई कि नहीं और नहीं है तो आगे के लिए उसकी जरूरत समझी गई या नहीं। जो भी हो, इस खबर को प्रमुखता मिलना अब कम हो गया है और आज जो खबरें पहले पन्ने पर हैं उनसे नहीं लगता है कि आगे के लिए कोई सीख ली जा रही है या ली गई है और मजबूरी में खतरनाक काम करने वालों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था सरकार करेगी।
भले प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनके लिए चार सबसे बड़ी जातियां गरीब, युवा, महिला और किसान हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि सुरंग खोदने जैसी मजदूरी और दिहाड़ी की नौकरी गरीब, युवा ही करते हैं। प्रधानमंत्री के कहे पर आने से पहले सुरंग में सुरक्षा की चर्चा कर लूं वरना एक दो दिन में यह मामला पहले पन्ने से हट ही जाएगा। अंग्रेजी के मेरे पांच अखबारों में आज इंडियन एक्सप्रेस में इस विषय पर कोई खबर नहीं है जबकि हिन्दुस्तान टाइम्स में खान से सुरक्षित निकले आंध्र प्रदेश के मजदूरों को स्वास्थ्य जांच के बाद अपने गृह राज्य जाते हुए दिखाने वाली एक तस्वीर छपी है। द टेलीग्राफ के अनुसार विशेषज्ञों की एक टीम धंसे हुए सुरंग की समीक्षा के लिए उत्तरकाशी पहुंचने वाली थी पर नहीं आई और यह जानकारी उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों ने दी है तथा टीम केंद्र यानी दिल्ली से जाने वाली थी।
टनल बनाने वाली कंपनी का सरकारी सेठ अदाणी समूह के जुड़े होने की चर्चा है और ऐसे में निर्माण फिर से शुरू करने से पहले की जांच समीक्षा तथा उसके नहीं होने या टल जाने का मतलब समझा जा सकता है। खासकर इसलिए भी कि मूल खबर अब पहले पन्ने से हट रही है। इस संबंध में द हिन्दू की खबर बताती है कि सुरंग का निर्माण तुरंत फिर शुरू होगा। खबर के अनुसार, सुरंग में फंसे मजदूरों का नियोक्ता, नेशनल हाईवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड है और उसी ने कहा है कि सुरंग बनाने का काम जल्दी ही फिर से शुरू होगा। आज की खबरों में सबसे महत्वपूर्ण और चौकाने वाली खबर टाइम्स ऑफ इंडिया की है। इसके अनुसार, गुजरे पांच वर्षों में सिल्कयारा टनल 20 बार धंसा है और यही इस खबर का शीर्षक है।
नेशनल हाईवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के निदेशक प्रशासन और वित्त अंशु मनीष खल्को ने कहा है कि 4.5 किलोमीटर लंबा यह सुरंग चार धाम सड़क परियोजना का सबसे लंबा सुरंग है और इसमें दोनों तरफ से वाहन चलेंगे। गुजरे पांच वर्षों में इसमें ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। इनकी संख्या 19-20 बताई गई है। कहने की जरूरत नहीं है कि ऐसी हालत में सुरक्षा उपाय बेहद जरूरी थे और आगे के लिए भी हैं। लेकिन ना तो इस खबर में (इसका बाकी हिस्सा अंदर है) और न दूसरे अखबारों की पहले पन्ने की खबर में सुरक्षा उपायों से संबंधित कोई चर्चा है। आज के अखबारों में वैसे तो एक्जिट पोल की खबरों को प्राथमिकता दी गई है लेकिन पन्नून की हत्या की साजिश के अमेरिका के आरोप का कोई कायदे का जवाब नहीं है और अटकल के मुकाबले इस ठोस खबर को प्राथमिकता दी जानी चाहिये थी।
यह खबर सिर्फ हिन्दू में लीड है। शीर्षक है, अमेरिकी आरोपों पर भारत ने कहा, हिट जॉब हमारी नीति नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसपर कहा है, हम इस तरह के इनपुट्स को गंभीरता से लेते हैं .... जांच समिति के निष्कर्षों के आधार पर आवश्यक फॉलो अप कार्रवाई की जायेगी। इंडियन एक्सप्रेस ने विनिर्माण बढ़ने से जीडीपी विकास दर तेज होने की खबर को लीड बनाया है। उपशीर्षक है, सीईए ने कहा कि जीडीपी का विकास कम करके बताया गया हो सकता है। द टेलीग्राफ ने इस खबर को बिजनेस ज पर रखा है। इनके अलावा, आज की एक खबर का शीर्षक है, मेरे लिये चार सबसे बड़ी जातियां हैं गरीब, युवा महिलाएं और किसान। यह खबर अमर उजाला में लीड है। इस खबर का उपशीर्षक है, विकसित भारत संकल्प यात्रा : केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों को पीएम ने किया संबोधित। इसके साथ की कुछ और खबरें हैं, खुद को जनता का माई-बाप समझती थीं पहले की सरकारें। एक खबर है, मेरे पास तो साइकिल भी नहीं है। महिला सरपंच से बोले, कुर्सी संभालिये।
आप जानते हैं कि महिलाओं के लिए जहां आरक्षण है वहां उनके पति ही चुनाव लड़ते और काम करते हैं। लोग सरपंच पति को जानते हैं। पर मोदी जी महिलाओं का वोट लेने की कोशिश में महिला आरक्षण में लगे हुए हैं और वह कुछ ज्यादा ही उलझ गया है। वैसे भी, महिलाओं को योग्य बनाने से पहले आरक्षण पतियों के लिए है। और वे जनसेवा भी कर रहे हैं। महिला आरक्षण से पहले उनकी शिक्षा योग्यता सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी है और गरीब, कमजोर या निरक्षर को सासंद बनाना हो तो आरक्षण की जरूरत नहीं है। लेकिन अंग्रेजों की तरह फूट डालो राज करो में यकीन करने वाली पार्टी की लोकप्रियता का आधार ही यही है। आइये देखें कैसे?
आप जानते हैं कि आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के लिए हिन्दुत्व की राजनीति करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां तक पहुंचे हैं। दस साल के उनके शासन काल में न सिर्फ उनका बल्कि पूरे संघ परिवार का तानाशाही पूर्ण रवैया स्पष्ट हो चुका है। ऐसे लोग बांटों और राज करो में विश्वास करते हैं इसलिए असल में हिन्दू मुसलमान के नाम पर अमीर गरीब, अगड़े-पिछड़े आदि आदि सब करते हैं। हिन्दुत्व के प्रति भारतीय जनता के दीवानेपन और इस कारण संघ परिवार की लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस और राहुल गांधी ने जनता को यह बताना शुरू किया कि भाजपा दरअसल हिन्दुओं में ऊंची जाति का ही ख्याल रखती है और जातिवार जनगणना से भाजपा की परेशानी इसका सबूत है। राजनीतिक तौर पर इसके मुकाबले के लिए प्रधानमंत्री नई-नई कोशिशें कर रहे हैं और 2019 के बाद अगर सीएए का मुद्दा फिर गर्मा रहा है तो गरीबों, युवाओं, महिलाओं, किसानों को याद करने का कारण यही है।
मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री एक तनाशाह की तरह मनमानी करते हैं और ऐसी ही तानाशाह मानसिकता के दूसरे लोग उनका समर्थन करते हैं। इसमें तर्क-तुक की गुंजाइश नहीं के बराबर होती है और यह वैसे ही है कि प्रधानमंत्री एक धर्म के लोगों की चिन्ता करें और दूसरे धर्म के लोगों के हित में किये जाने वाले काम को तुष्टिकरण करे और खुद बहुमत के पक्ष में किये जाने वाले अपने कामों को संतुष्टिकरण कहे। दूसरे दल मुफ्त में कुछ दे तो उसे रेवड़ी कहें और खुद 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने का दावा करें, ऐसे हालात बना दें और उसके विस्तार पर भी गर्व महसूस करें। मीडिया अगर ऐसे और इन विषयों पर चर्चा करता तो जनता सब समझ जाती पर मीडिया के समर्थन के कारण मनमानी में लापरवाही भी आ गई है और उसी का परिणाम है ऐसे बयान और शीर्षक।
कहने की जरूरत नहीं है कि प्रधानमंत्री अगर जाति की सामान्य व्यवस्था से अलग होकर अब अगर गरीब, युवा, महिला और किसान को चार नई जाति मान या बता रहे हैं तो जाहिर है कि यह सभी धर्मों के लिए होना चाहिए औऱ गरीब महिला की दो जाति होगी अगर गरीब, महिला युवा हुई तो उसकी तीन जातियां हो जाएंगी। इसी तरह अगर वह किसान भी हुई तो उसकी चार जातियां हो जाएंगी। यही हाल युवकों का होगा वे तीन नई जाति के हो सकते हैं। अब वोट लेने के लिए प्रधानमंत्री ने जो कहा है उसका कोई और मतलब हो तो वह इसपर चर्चा से पता चल सकता है लेकिन चर्चा कोई करेगा नहीं। जो प्रधानमंत्री के कहे में आ जायेगा वह फिर बेवकूफ बनेगा।