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रविशंकर बाबू का इशारा सौ फीसद सही है। जरूर मणिपुर की दरिंदगी का वीडियो सामने आने के पीछे गहरा षडयंत्र है। बाबू साहब गलत नहीं बोलेंगे। कानून के जानकार ही नहीं हैं, मोदी जी के खुड्डे लाइन लगाने से पहले तक तो, देश के कानून मंत्री तक रहे थे। मणिपुर की दरिदंगी को दरिंदगी मानने से भला वह इंकार क्यों करने लगे। वैसे भी अब तो मोदी जी तक ने मणिपुर की दरिंदगी को, राजस्थान वगैरह की दरिंदगियों के साथ, एक सौ तीस करोड़ भारतीयों को शर्मिंदा करने वाली दरिंदगियों में शामिल कर लिया है। और दोषियों को माफ नहीं करने का एलान भी कर दिया है। कहते ही हैं, हाथी के पांव में सब का पांव। फिर रवि बाबू को दरिंदगी के दरिंदगी होने से इंकार करने की जरूरत ही क्या है? उनको दिक्कत दरिंदगी से नहीं, दरिंदगी के वीडियो से है, जो वाइरल हो गया था। और ठीक-ठीक कहें, तो उनकी दिक्कत दरिंदगी के वाइरल हुए वीडिया मात्र से भी नहीं है। उनको दिक्कत है, वीडियो के आने के टाइमिंग से। दरिंदगी दो महीने पुरानी और वीडियो अब, संसद का सत्र शुरू होने से ऐन पहले; यह भी अगर मोदी जी की छवि बिगाडऩे का षडयंत्र नहीं है, तो छवि बिगाडऩे का षडयंत्र और किसे कहेंगे!
फिर मणिपुर की हैवानियत के वीडियो के पीछे मणिपुर की छवि खराब करने का षडयंत्र होने की पुष्टि तो मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने भी कर दी है। हां! डबल इंजन सरकार के लोकप्रिय प्रधानमंत्री की ही तरह, बीरेन सिंह भी लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं; सो मणिपुर की छवि खराब करने के इस षडयंत्र के खिलाफ उन्होंने राज्य की भगवा पब्लिक को उतारने का एलान किया है। पहले ही ज्यादातर सडक़ों पर या शरणार्थी शिविरों में ही समय बिता रहे इस राज्य में, इस षडयंत्र के खिलाफ हर जगह, विरोध प्रदर्शनों वगैरह का आह्वान किया है। भगवाइयों की पब्लिक इस षडयंत्र को अब विफल कर के रहेगी। और जाहिर है कि उनकी डबल इंजन की सरकार भी चाहे कुछ भी हो जाए, ऐसा कोई वीडियो अब वाइरल होना तो दूर, लोगों तक पहुंचने भी नहीं देगी। ट्विटर वगैरह सब के कान खींच दिए गए हैं, ऐसा कोई वीडियो अब और दिखाई दिया, तो खैर नहीं! इंटरनैट तो खैर मणिपुर में शुरू से ही बंद था और आखिर तक बंद ही रहेगा, जम्मू-कश्मीर की तरह।
और हां! इंटरनैट के बंद होने से याद आया कि मणिपुर में इंटरनैट तो पहले दिन से ही बंद है। इंटरनैट बंद है, फिर भी वीडियो बाहर पहुंचकर वाइरल कैसे हो सकता है? पर हो गया। यह तो सौ फीसद षडयंत्र का ही मामला है। और ऐसे-वैसे नहीं, किसी बड़े वाले षडयंत्र का मामला है। इंटरनैट बंद होने के बाद भी वीडियो फैलाना और फिर उसे देश भर में वाइरल कर देना, यह दो-चार व्यक्तियों की तो छोड़ ही दो, छोटी-मोटी साजिश के भी बूते का काम नहीं है। इसके पीछे जरूर गहरी साजिश है। गहरी साजिश भी सिर्फ लोकल नहीं, बल्कि इंटरनेशनल लेबल की। बार्डर जरा गलत हो गया, वर्ना इस साजिश के पीछे बेधडक़ आइएसआइ का हाथ खोज सकते थे। खैर, बारास्ता चीन आइएसआइ का हाथ तो अब भी हो ही सकता है। खैर! मुद्दे की बात यह है कि डबल इंजन सरकार को फौरन देश और मोदी जी की छवि खराब करने के इस षडयंत्र की जांच करानी चाहिए और शीर्ष षडयंत्रकारियों से लेकर, शर्मनाक वीडियो के सभी पात्रों तक, षडयंत्र की हरेक छुपी कड़ी को खोदकर बाहर निकालना चाहिए। मोदी जी! अब तो एनआइए वालों को बुलाओ और वीडियो देखने-दिखाने के जरिए, मोदीशाही को बदनाम करने के ऐसे षडयंत्रों पर रोक लगाओ।
(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक 'लोकलहर' के संपादक हैं।)