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धर्म के झुनझुने के सहारे सरकार कुछ भी करे, सिलेंडर, डीजल ,पेट्रोल के बढ़ती कीमतों पर अपना जमीर भी रखा गिरवी
लोग टीवी के (लगभग हर) चैनल पर ज्ञानवापी मस्जिद में त्रिशूल, स्वस्तिक, डमरू, कमल आदि के निशान "मिलने" की ख़बर पर झूम रहे होंगे, कि पीछे घरेलू गैस सिलेंडर हज़ार की क़ीमत भी लांघ गया। धर्म के झुनझुने के सहारे सरकार कुछ भी करे, भक्त अपने जीवनयापन के अधिकार को भी मानो गिरवी रख चुके। यह बात देश के जाने माने पत्रकार ओम थानवी जी ने की है।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पिछले कुछ दिनों के अंदर ही रसोई गैस सिलेंडर के दाम ₹100 से ज्यादा बढ़ चुके हैं। जिस रफ्तार से महंगाई में वृद्धि हो रही है, उसी रफ्तार से आम आदमी की मुश्किलों में इजाफा हो रहा है।
देश की जनता जब सिलेंडर की कीमतों में जरा भी इजाफा होता था तो देश में भूचाल या जाता। आज सब खामोशी आपकी बता रही है कि धर्म का नशा परोस कर आपसे कुछ भी कराया जा सकता है। जबकि बढ़ती महंगाई बेरोजगारी पर सब मौन वृत धारण किए हुए है।
असम में भारी बाढ़ से हुई तबाही का असर त्रिपुरा में भी दिख रहा है। बाढ़ की वजह से कई सामान की सप्लाई बाधित हो गई है, जिससे त्रिपुरा में तेल का संकट पैदा हो रहा है। राज्य सरकार ने हालात को देखते हुए तेल खरीदने की सीमा तय कर दी है। अब दोपहिया वाहन अधिकतम 200 रुपये, तिपहिया वाहन 300 रुपये और चौपहिया वाहन अधिकतम 1000 रुपये का ही पेट्रोल-डीजल खरीद सकेंगे।
यह संकट किस ओर इशारा कर रहा है। हमें जागरूक बनना होगा और बढ़ती महंगाई पर सरकार से आँख में आँख डालकर बात करने पड़ेगी। यही पीएम मोदी का नारा था बहुत हुई महंगाई की मार आबकी बार मोदी सरकार क्या हुआ।
अब लोग पूर्व पीएम मनमोहन का बो व्यान कोट करते है जिसमें उन्होंने कहा था की उनके पास महंगाई काबू में करने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है। तो आप उस समय बड़ी सिद्दत और जिम्मेदारी से कह रहे थे । हम सब काबू कर लेंगे लेकिन सरकार पूरी तरह से नाकाम नजर या रही है।
उस समय डॉलर की बढ़ती कीमत रुपये के गिरते स्तर पर पीएम की उम्र तक का हवाला दिया गया। आज डॉलर उससे दस रुपये ऊपर और चला गया लेकिन अब कहीं भी कोई हलचल नहीं है। जबकि लोग टीवी के प्रत्येक चैनल पर ज्ञानवापी मस्जिद में त्रिशूल, स्वस्तिक, डमरू, कमल आदि के निशान "मिलने" की ख़बर पर झूम रहे है लेकिन महंगाई सिलेंडर की कीमत पेट्रोल की कीमत डीजल की कीमत पर कोई बातचीत नहीं।