संपादकीय

ये दोस्ती वो नहीं तोड़ेंगे!

Rajendra Sharma
22 Oct 2023 11:13 AM GMT
ये दोस्ती वो नहीं तोड़ेंगे!
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He will not break this friendship

देखी, देखी, इन फिलिस्तीन वालों की बदमाशी देखी। खुद ही अपने यहां गाज़ा में अल अहली अस्पताल पर रॉकेट फोडक़र पांच सौ या उससे भी ज्यादा लोगों को मार डाला। और इसके बाद "इस्राइलियों ने मार डाला, इस्राइलियों ने बम गिरा दिया" का शोर मचा दिया। और किसलिए? बेचारे नेतन्याहू को बदनाम करने के लिए। वह तो बाइडेन साहब भी अड़ गए -- जय-वीरू वाली ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे; कुछ भी कर आए, नेतन्याहू की हां में अपनी हां जोड़ेंगे! वर्ना योरप वाले तो कुछ सौ लाशें देखते ही, अरे-अरे करने लग जाते। इन कमजोर दिल वालों की चले तो, बेचारे नेतन्याहू के जमीनी हमले का न जाने क्या हो!

हां! हमारे मोदी जी को कमजोर दिल वालों में शामिल करने की गलती कोई नहीं करे। माना कि अस्पताल बम कांड के बाद, मोदी जी ने भी आखिरकार फिलिस्तीन के राष्ट्रपति, महमूद अब्बास को फोन कर ही दिया। फोन ही नहीं किया, फिलिस्तीनियों की मौतों पर अफसोस भी जता दिया। लेकिन, इसका मतलब यह कोई न समझे कि मोदी जी और नेतन्याहू जी की दोस्ती, बाइडन और नेतन्याहू की दोस्ती से कमजोर है। या अस्पताल पर बम गिरने से मोदी जी किसी दुविधा में पड़ गए हैं। या फिलिस्तीनियों से इंडिया की पुरानी दोस्ती की उन्हें याद आ गयी है।

या फिलिस्तीनियों को उनका देश मिलना चाहिए, इतना तो इंडिया वाले ही नहीं, भारत वाले भी मानते ही हैं। गलत। विश्व गुरु किसी दुविधा-वुविधा को नहीं मानते। दुनिया चाहे इधर से उधर हो जाए, दोस्त चाहे जैसा निकल जाए, दोस्ती हो या दुश्मनी, ठान लेते हैं, तो आखिर तक निभाते हैं। फिर अमृतकाल की दोस्ती पर तो क्या ही आंच आने देंगे। देखा नहीं, अब्बास को फोन करने में दस दिन लग गए, जबकि नेतन्याहू को फोन करने में दस घंटे भी नहीं लगे। फिर भी अगर कोई मोदी जी पर दोनों पलड़े बराबर करने का इल्जाम लगाए, तो इसे भक्तों को कन्फ्यूज करने की साजिश के सिवा और क्या कहा जा सकता है!

और भक्त इस झूठे प्रचार में हर्गिज नहीं आने वाले कि उनके पुरखा, सावरकर-गोलवलकर तो हिटलर के साथ थे, फिर ये हिटलर के मारे यहूदियों के साथ कैसे? उनके पुरखा विदेश में किसी के भी साथ रहे हों, देश में किस-किस के खिलाफ थे, यह बिल्कुल साफ है। चुनाव में वोट वह दुश्मनी ही दिलाएगी। वैसे भी यहूदियों के सफाए की तारीफ और यहूदीवादियों के राज से दोस्ती में ऐसा बैर भी कहां है!

(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक 'लोकलहर' के सम्पादक हैं।)

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