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कांग्रेस में कितने भस्मासुर ? सलमान खुर्शीद के बाद अगला कौन ?
लोकतंत्र में चुनाव किसी महामहोत्व कम नहीं होता,खासकर भारत में।इन दिनो देश के सबे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी बड़ी तेज है।ऐसे में सभी पार्टीयां जोर शोर से प्रचार प्रसार में अपना दम दिखाती नज़र आ रही हैं।सत्ता सुख के लिए कांग्रेस भी जोर आजमाइश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।लगातार प्रियंका गांधी मैदान में पार्टी की छवी बनाने में लगी हुई हैं। लेकिन ऐसा लगता है कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद अपनी किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' बेचने के चक्कर में कहीं भस्मासुर की भूमिका ना अदा कर दें,क्योंकि 2014 से कांग्रेस नेताओं का बड़बोलापन इसी ओर संकेत करता है।
आपको बता दें कि इससे पहले भी जनाब सलमान खुर्शीद की कई किताबें आई, लेकिन ये किताब अयोध्या मसले पर है,विशेषकर अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर।
अब जब चुनाव सिर पर हो तो सब कुछ सामान्य तो नहीं हो सकता क्योंकि चुनाव से ऐन पहले अब यूपी की राजनीति के केंद्र में अयोध्या की चर्चा खूब होने लगी है,आप कह सकते हैं कि सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब के रिलीज के लिए समय तो अच्छा ही चुना, लेकिन मौके पर पी. चिदंबरम और दिग्विजय सिंह के अलावा कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक की ही मौजूदगी देखी गयी - न तो गांधी परिवार का ही कोई सदस्य दिखा और न ही अयोध्या मामले को लेकर अक्सर बीजेपी के निशाने पर आ जाने वाले कपिल सिब्बल।
लेकिन अब लगता है कि कहीं सलमान खुर्शीद की किताब कांग्रेस के लिए रिएक्शन ना कर दे क्योंकि इस पुस्तक में सलमान साहब ने हिंदुत्व की तुलना ISIS और बोको हराम जैसे जिहादी संगठनों से कर डाली है। अब किताब की अन्य बातें पीछे छूट गई और हिन्दुत्व की ISIS और बोको हराम जैसे जिहादी संगठनों से तुलना लोगों की जुबान पर आ गई।
एक बात तो तय है कि इस किताब का विमोचन सियासी संग्राम में कांग्रेस के फायदे के लिए ही रिलीज हुई होगी, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या हिंदुत्व पर ऐसी टीका टिप्पणी करके सलमान खुर्शीद कांग्रेस को कोई फायदा दिला पाएंगे - वो भी तब जब प्रियंका गांधी वाड्रा बनारस में हाथों में तुलसी की माला और माथे पर त्रिपुंड लगा कर 'जय माता दी' के नारे के साथ रैली कर रही हों ?
गनीमत तो बस इतनी रही कि गांधी परिवार ने सलमान खुर्शीद की किताब के बिमोचन में ना आ कर के किसी भी विवाद की आशंका से दूरी बना ली । क्योंकि बीजेपी के निशाने पर कांग्रेस पार्टी वरीयता से रहती है खासकर राम मंदिर निर्माण में रोड़े अटकाने की कोशिश को लेकर। आपको ये भी बताते चलें कि सलमान खुर्शीद वर्तमान में यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ काम कर रहे हैं - और मैनिफेस्टो कमेटी के प्रभारी भी बनाये गये हैं।
अब ऐसे में सवाल कई है मसलन-,
क्या सलमान खुर्शीद की हिन्दुत्व की आतंकी संगठन से तुलना पर राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व की छवी पर लोग विश्वास कर पाएंगे ?
क्या सलमान खुर्शीद की किताब कांग्रेस नेतृत्व की जनेऊधारी छवि की पहचान की वकालत करता है?
क्या प्रियंका गाँधी जिस मेहनत से पार्टी की छवी उभारने में लगी हुई हैं उसे धक्का नहीं लगा ?
अंतत: सवाल उठता है कि क्या पहले की तरह कांग्रेस ऐसा करके कुछ मुस्लिम वोट हासिल करने के बदले हिंदू वोटों की बड़ी संख्या गंवाने का जोखिम नहीं उठा रही है?बहरहाल अब तो चुनावी समर में सब कुदे पड़े हैं देखना दिलचस्प होगा कि जनता जनार्दन किसके पक्ष और विपक्ष में वोट की चोट करके किसे सत्ता की चाभी सौंपती है। लेकिन एक बात तो तय है कांग्रेस के लिए वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए सलमान खुर्शीद की अपनी किताब में हिन्दुत्व पर ऐसी तुलना फायदे का सौदा साबित नहीं होगी।
-संदीप की कलम से,