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जानिए पहली बार दिल्ली में कब हुए थे चुनाव और कौन बना था पहला मुख्यमंत्री...
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां करीब-करीब पूरी हो चुकी हैं. कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी सहित सभी राजनीतिक दल एक तरफ सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं तो दूसरी ओर चुनाव आयोग ने भी विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली हैं. आज शाम 3 .30 बजे चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा जिसमें चुनाव की तारीख बताई जाएगी। कयास ऐसा लगाय जा रहा है कि एक ही चरण में चुनाव कराया जा सकता है।
इसी कड़ी में हम आपको बता रहे हैं कि पहली बार दिल्ली में कब हुए थे चुनाव और कौन बना था पहला मुख्यमंत्री...
दिल्ली में पहली बार विधानसभा के चुनाव 1952 में हुए थे। राज्य के पहले मुख्यमंत्री कांग्रेस के चौधरी ब्रह्मप्रकाश बने। चौधरी ब्रह्मप्रकाश 1952 से 1955 तक मुख्यमंत्री रहे फिर जीएन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। 1956 में दिल्ली विधानसभा को भंग कर इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। 1966 में दिल्ली को एक महानगर पालिका का रूप दे दिया गया। दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है।
1991 में संविधान में संशोधन करके इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित किया गया। नए परिसीमन के तहत विधानसभा का गठन किया गया। दिल्ली विधानसभा की बात होते ही लोग 1993 में गठित विधानसभा को पहली विधानसभा मानते हैं। हकीकत में ऐसा नहीं है। वर्ष 1991 में 69वें संविधान संशोधन के अनुसार दिल्ली को 70 सदस्यों की एक विधानसभा दे दी गई जिसमें 12 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित थीं।
संविधान में संशोधन के बाद वर्ष 1993 में दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव हुए। भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली। भारतीय जनता पार्टी के मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री चुने गए। दिल्ली के तीसरे मुख्यमंत्री के नाते खुराना से लोगों को काफी उम्मीदें थी। उन्होंने काम भी किए। 1996 में हवाला मामले में नाम आने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।
भाजपा ने व्हिप जारी कर साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री बनवाया। साहिब सिंह वर्मा के कार्यकाल में पार्टी की हालत दिल्ली में खराब हो गई। पार्टी के अंदर ही वर्मा का विरोध होने लगा। विधानसभा का कार्यकाल 1998 तक था। चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी ने एक और मुख्यमंत्री बदल दिया।
1998 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दिलवाकर सुषमा स्वराज को अक्टूबर 1998 में मुख्यमंत्री बनाया। इस तरह सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। चुनाव में भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के कई दिग्गज चुनाव हार गए। सुषमा स्वराज बड़ी मुश्किल से जीत पाई।अब यह तीनों ही नेता दुनिया को अलविदा कह चुके हैं।
दिसंबर 1998 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जीतकर आई। शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री चुना गया। 15 साल के अपने कार्यकाल में शीला दीक्षित ने दिल्ली का चेहरा बदल कर रख दिया। इस दौरान हुए भ्रष्टाचार के चलते 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सहित शीला दीक्षित बुरी तरह चुनाव हार गई। इस चुनाव के बाद देश की राजनीति की दिशा ही बदल गई और अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी की पार्टी का उदय हुआ।
2013 में हुए दिल्ली की पांचवी विधानसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। राज्यपाल ने सबसे बड़े दल के नाते भाजपा को सरकार बनाने को कहा। भाजपा ने बहुमत न होने का हवाला देकर सरकार बनाने से मना कर दिया। इसके बाद बदले घटनाक्रम के तहत कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी को सर्मथन देकर सरकार बनवा दी।
उस समय देश के सबसे चहते अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। 49 दिन सरकार बनाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। दिल्ली में विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इस बीच कई बार सरकार बनाने की कोशिश परदे के पीछे होती रही पर सरकार नहीं बन सकी। फिर उसके बाद चुनाव हुआ तो कुल 70 विधानसभा सीटों में से बीजेपी महज 3 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी जबकि 67 सीटें आम आदमी पार्टी को मिली थीं. इस चुनाव में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।