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शारिक रब्बानी की शायरी में कृष्ण भक्ति : प्रत्यक्ष मिश्रा
___भारत में मुस्लिम सूफियों और बहुत से मुस्लिम कवियों ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रशंसा और उनका गुणगान किया है। हजरत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य अमीर खुसरो ने "छाप तलक सब से छीन ली रे मोसे नैना मिलाइ के" रचना श्री कृष्ण को समर्पित की थी।
इसके अतिरिक्त आलम शेख, रहीम, नजीर अकबराबादी आदि अनेक मुस्लिम कवियों ने श्रीकृष्ण की प्रशंस में कुछ न कुछ अवश्य लिखा है। मौलाना हसरत मोहानी जो एक स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, शायर और इंकलाब जिन्दाबाद का नारा देने वाले व्यक्ति थे। उन्हे भी कृष्ण जी से प्रेम था। हसरत के शब्दों में श्रीकृष्ण प्रेम और सौन्दर्य के देवता थे। हसरत मोहानी ने भी श्रीकृष्ण की प्रशंसा और उनसे अकीदत मे बहुत-सी रचनाएं लिखी हैं, वह सदैव अपने पास एक बाँसुरी रखते थे और मथुरा भी जाते थे।
वर्तमान समय में भारत और नेपाल दोनों ही देशों में लोकप्रिय वरिष्ठ उर्दू शायर व साहित्यकार शारिक रब्बानी श्री कृष्ण से अटूट प्रेम रखते हैं। श्रीकृष्ण और राधा जी का बहुत आदर करते है। मथुरा से उन्हें काफी लगाव है और वह भी हसरत मोहानी की तरह श्रीकृष्ण और राधाजी के प्रेम को बहुत अहमियत देते हैं। उनका कहना है कि, श्रीकृष्ण जी सबके लिए हैं। शारिक रब्बानी की शायरी मेें कृष्ण भक्ति पाई जाती है तथा उन्होंने श्री कृष्ण और राधा जी से अकीदत का इजहार करने के साथ-साथ मीरा पर भी रचनाएं लिखी हैं। प्रस्तुत है शारिक रब्बानी की कृष्ण भक्ति से भरी रचनाओं की कुछ पक्तियाँ ____
1.क्या खूब तेरी शान है या हजरते कृष्ण,
गीता से मिलता ज्ञान है या हजरते कृष्ण।
बरसाना नन्दगाँव व गोकुल की सरजमीं ,
सबपे तेरा एहसान है या हजरते कृष्ण।
2.मीरा का हर भजन ही कृष्णा के नाम है,
मीरा की लाज रखना कृष्णा का काम है।
मीरा की जो पसंद है मेरी भी वही पसंद
शारिक भी तेरे दर का कृष्णा गुलाम है।।