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सुप्रसिद्ध, विचारक, श्री कोल्टन के अनुसार......"लज्जा नारी का सबसे कीमती आभूषण है" !
सीधे अमरीका से, सोशियल मीडिया के 'प्लेटफार्म' पर यहाँ पहुँचे, 'मी-टू' के दमदार पंच ने, कई नामी चेहरों की रंगत बिगाड़ दी है। इनका घरेलू जायका बिगड़ा सो अलग। मी-टू यानि मेरे साथ भी… ! कभी हुई छेड़छाड़ अथवा इससे आगे की कहानियाँ एक एक कर सामने आ रही हैं। महिला आयोग की हौसला आफजाई के बाद, इसमें और इजाफा हुआ है।
सबसे पहले, अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने, बालीवुड के दमदार एक्टर, नाना पाटेकर पर, ऐसे आरोप खुलकर गढ़ दिये। इसी क्रम में, टीवी सीरियल्स से अपने सादगी भरे खास किरदार से उभरकर आये, आलोकनाथ पर, विंता नंदा ने और फिर 24 घन्टे भी नहीं गुजरे कि, इन्ही महाशय पर, अभिनेत्री संध्या मृदुल ने,बदसलूकी के, आरोप जड़दिये हैं। सध्या ने ट्विटर पर लिखा, "अब आपका खेल खत्म हो चुका है"।उधर महाशय के वकील ने, उनकी तबियत खराब हो जाना बताई है।
दूसरी ओर मशहूर गायक,कैलाश खेर पर, गायिका सोना महापात्रा ने छेड़छाड़ का आरोप जड़ दिया है। उसने कहा, …"मेरे पैर पर हाथ रखा, और कहा, तुम बहुत सुन्दर हो"। खुलकर लग रहे ऐसे आरोपों में, अब, महिला पत्रकार भी पीछे नही हैं.. विदेश राज्यमंत्री एम. जे. अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने से, इधर अकबर की मुश्किलें बढ गई हैं। काँग्रेस ने इस्तीफे की मांग के साथ ही इनपर निशाना साध दिया है।
महिलाओं ने, अपनी आपबीती ट्वीटर पर शाया करते, असलित को उजागर करना शुरु , जो किया, वो अब थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। एक हिसाब से ऐसी घटनाएं महिला सशक्तीकरण के नये आयाम खोलती जा रहीं हैं। मसले चाहे कितने ही पुराने क्यों न हों, आखिर दुर्व्यवहार से,
पोल तो खुही रही है। नामी चेहरों से नकाब जो उतरने लगी है। इधर, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने, जयपुर ब्रह्माकुमारीज के एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में, माना कि, ..जिस घर, परिवार और राष्ट्र में महिला शक्ति की इज्जत होती है, उसे दुनिया में कोई हरा नहीं सकता। हालाँकि, चर्चित मसले से कोई सीधा संबंध तो नहीं, वे नवरात्री के संदर्भ में बोल रहीं थीं।
यह सही है, कि इससे पहले भी ,बालिबुड की कुछ नामचीन हस्तियों पर ऐसे आरोप लगाये जाते रहे हैं किन्तु उनपर महिलाएं खुलकर अपनी कहानियाँ न बता पाईं, अथवा मसले दबा दिये गये। यह देश में पला मौका है, जब शिकायत कर्ता खुल कर सामने आ रहीं हैं। एम जे अकबर पर तो नौ पत्रकारिता से जुड़ी महिलाओं के आरोप ताजा और खास उदाहरण बन गये है, जब वे अखबार संभालते रहे थे। शिकायतों की,यह तीन दिनों की प्रगति है।
उधर, केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री, मेनका गाँधी ने तो यहाँ तक कह दिया है, कि,..".ऊँचे ओहदे पर बैठे, कई पुरुष अक्सर ऐसा करते है। मीडिया, राजनीति या कई कंपनियों में ऐसा होता है। महिलाएं अक्सर बाहर बोलने से डरतीं हैं। अब महिलाएं, बोल रहीं है, तो उनके आरोपों को लेकर, कार्यवाही की जानी चाहिये।'' पत्रकारिता जगत में ही, ऐसे ही यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे टाईम्स आफ इंडिया के स्थानीय संपादक, श्रीनिवास को छुट्टी पर भेज दिया गया है।
क्षेत्र कोई सा भी हो, महिला उत्पीड़न की ऐसी घटनाएं अब मिसाल बन रहीं हैं। पहले भी खेल जगत, शिक्षण संस्थाओं और, सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों से ऐसी शिकायतें जोर पकड़ती रहीं हैं कार्यवाही इसलिये नहीं हो सकी कि, शिकायतें दबी जुबान से अथवा बदनामी का वास्ता देकर दबाई जो,जाती रहीं । अब स्थितियाँ पलट गई हैं इसीसे, खुलकर सामने आ रही है, घटनाएं। देखते जाईये, अभी आगे आगे होता है, क्या !!!
-शमेन्द्र जड़वाल