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क्रिसमस का दिन और सैंटा क्लॉज न आएं, बच्चों के लिए उपहार न लाएं- ऐसा कभी नहीं हुआ। मगर, देशभर के करोड़ों नौनिहालों के लिए एक साथ सैंटा क्लॉज गिफ्ट लेकर आए हों, ऐसा पहली बार हुआ है। यह सैंटा क्लॉज हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। वे टीवी के स्क्रीन पर अचानक उतरते हैं। एक साथ देश के लोगों से संवाद करते हैं। वे राष्ट्र के नाम संबोधन में 15 साल से 18 साल के बीच की उम्र वाले किशोरों के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम का एलान करते हैं। फ्रंट लाइन वर्कर्स और सीनियर सिटिजन के लिए बूस्टर डोज का ऐलान कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जता दिया है कि ऑमिक्रॉन के खतरे से निबटने के लिए देश पूरी तरह तैयार है।
भारत में ऑमिक्रॉन के मामले 4 सौ पार कर चुके हैं। इसकी रफ्तार डेल्टा के मुकाबले 2-3 तीन गुणी है। मगर, भारत उन चुनिंदा देशों में है जहां वैक्सिनेशन की तादाद 100 करोड़ से ज्यादा है। भारत ने 60 फीसदी आबादी को दिसंबर के अंत तक वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य के काफी करीब हम पहुंच चुके हैं। 1.41 अरब लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है।
प्रधानमंत्री ने दिखाया सबल नेतृत्व
प्रधानमंत्री ने देश को बताया है कि वयस्क आबादी का 61 फीसदी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। इसी तरह वयस्क आबादी का 90 फीसदी लोग एक डोज लगा चुके हैं। यह बहुत बड़ी सफलता है। भारत में सफल वैक्सिनेशन कार्यक्रम का ही नतीजा है कि देश में सामान्य गतिविधियां दोबारा शुरू की जा सकें और अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आती हुई दिखने लगी। जीडीपी में सकारात्मक बढ़ोतरी दुनिया भर के लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है। मगर, भारत ने यह कर दिखलाया और ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबल और सक्षम नेतृत्व में हुआ है।
एक बार फिर दुनिया कोविड-19 के नए वैरिएंट ऑमिक्रॉन की चपेट में है। ऐसे में समय 15 साल से 18 साल के बीच के किशोरों के लिए वैक्सीन लगाने की बड़ी मुहिम 3 जनवरी से शुरू करने का एलान कर प्रधानमंत्री ने मजबूत इरादे का परिचय दिया है। वैक्सीन निर्माता कंपनियों से समयबद्ध वैक्सीन हासिल करने की कोशिश पहले से की जा रही है।
महामारी से निपटने के लिए तैयार है देश
सेंटा क्लॉज बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के बुजुर्गों के लिए 10 जनवरी से बूस्टर डोज उपलपब्ध करा रहे हैं तो किसी अनहोनी की स्थिति से निबटने के लिए भी देश को तैयार किया है। आज देश में 18 लाख आइसोलेशन बेड, 5 लाख ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड, 1.4 लाख आईसीयू बेड और बच्चों के लिए 90 हजार स्पेशल बेड उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं देश में 3 हजार से ज्यादा पीएसए ऑक्सजीन प्लांट्सस चालू हालत में हैं। सभी राज्यों को 4 लाख सिलेंडर उपलब्ध कराए गये हैं।
देश ने अनुभव से बहुत कुछ सीखा है। देश के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने समय-समय पर प्रस्तुत चुनौतियों का जवाब दिया है। न सिर्फ अपने देश में, बल्कि दुनिया के देशों को भी हमने जरूरत पड़ने पर वैक्सीन से लेकर महामारी से लड़ने की चीजें उपलब्ध करायी हैं। हिन्दुस्तान जैसे विशाल आबादी वाले देश में 16 जनवरी से शुरू हुआ वैक्सीन अभियान महज 11 महीने में जिस मुकाम तक पहुंचा है वह उल्लेखनी है। साढ़े नौ महीने में 100 करोड़ वैक्सीन देकर भारत ने अपने मजबूत इरादे का परिचय दिया था। यह सब संभव हो सका तो इसलिए भारत के प्रधानमंत्री में देश की अवाम को मोटिवेट करने की क्षमता है। संकट की घड़ी में वे देश की जनता को दिशा निर्देश देने के अपने परम कर्त्तव्य का निर्वाह करने में सफल रहे हैं। सही मायने में देश के सैंटा क्लॉज हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।