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अरुण दीक्षित
भोपाल। उमा भारती एक बार फिर चर्चा में हैं।इस बार उन्होंने मध्यप्रदेश में शराब बंदी का मुद्दा फिर से उठाया है।अब वे कह रही हैं कि वे लट्ठ के जरिये प्रदेश में शराब बंदी कराएंगी।इससे पहले गंगा यात्रा पर जाएंगी। उधर राजनीतिक क्षेत्रों में यह कहा जा रहा है कि लंबे समय से "खाली" बैठी उमा अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए मुद्दे खोज रही हैं। इसी खोज में उन्होंने "शराब बंदी" को पकड़ लिया है। लेकिन यह मुद्दा उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में ला सकता है!इसमें संदेह है।
सब जानते हैं कि काफी समय से हाशिये पर चल रही उमा भारती पार्टी की राजनीति की मुख्यधारा में लौटने की हर सम्भव कोशिश कर रही हैं। लेकिन नेतृत्व उनकी ओर कोई ध्यान ही नही दे रहा है। शनिवार को देश के गृहमंत्री अमित शाह मध्यप्रदेश के दौरे पर थे।वह प्रदेश के आदिवासी नायकों को श्रद्धांजलि देने आए थे।जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा तथा प्रदेश के बड़े नेता और मंत्री उनके स्वागत के लिए जबलपुर में थे तब उमा ने भोपाल में अपने सरकारी घर पर पत्रकारों को बुलाया।
उन्होंने पत्रकारों से औपचारिक और अनौपचारिक बातचीत की। पत्रकारों के सामने उमा ने मोदी और भाजपा की खुलकर तारीफ की! उन्होने कहा-मैं मोदी के साथ हूं!मैं योगी के साथ हूं!मैं शिवराज के साथ हूं। भाजपा से बेहतर कोई पार्टी नहीं है।भाजपा लगातार जीतती रहे!मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बनते रहें।
उन्होंने शिवराज सिंह और प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की प्रशंसा करते हुए कहा-इन दोनों की जोड़ी अच्छी तरह काम कर रही है।राज्य में इनसे बेहतर नेतृत्व नही हो सकता! शिवराज सिंह जी को इसीलिये पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया है।सरकार को अच्छे ढंग से चलाने के लिए मुझसे जो सहयोग मांगेंगे वह मैं देने को तैयार हूं।
इसके बाद उन्होंने अपनी वही मांग उठाई जो फरबरी में उठा चुकी थीं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में शराब बंदी होनी चाहिए। शिवराज और विष्णु की जोड़ी यह आसानी से कर सकती है।जागरूकता के जरिये शराब बंदी के लिए 4 महीने का समय है।नही तो 15 जनवरी के बाद मैं सड़क पर उतरकर लट्ठ के बल पर शराब बंदी कराऊँगी।
उमा के मुताविक प्रदेश को शराब से हर साल दस हजार करोड़ रुपये मिलते हैं। मेरे पास इसका भी विकल्प है।मैं शिवराज को बताऊंगी की किस तरह राजस्व बढ़ाया जा सकता है।अपनी इस मांग से उमा ने प्रदेश में बढ़ रहे अपराध और महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार और छेड़छाड़ के मामलों से जोड़ा।उनके मुताविक शराबबन्दी से महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगी।अपराध कम होंगे।
उमा भारती की इस मांग पर न तो पार्टी और न ही सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया आयी है। हां भाजपा के एक बड़े नेता ने उमा से जुड़े सवाल को हंसी में टालते हुए कहा-उमा जी खाली बैठी हैं।चर्चा में रहना चाहती हैं।इसलिए कुछ न कुछ कहती रहती हैं।पिछले कुछ महीने से वे ट्वीटर पर मोदी जी का ध्यान खींचने की कोशिश कर रही थीं।अब मीडिया के जरिये यह कोशिश जारी है।दरअसल उनका चित्त स्थिर नही रहता है।
पार्टी ने उन्हें हर मौका दिया।पर हर बार उन्होंने पार्टी को कटघरे में खड़ा किया।वे ऐसी नेता है जो अपने पांव पर कुल्हाड़ी नही मारती हैं बल्कि चलती आरी पर पांव रख देती हैं।अब वे सबके साथ काम करने और सहयोग करने की बात कह रही हैं।अच्छी बात है।लेकिन शराब बंदी करना आसान बात नही है।इससे कई चीजें जुड़ी हुई हैं।कहने और करने में बहुत फर्क है।कहना बहुत आसान है पर करना उतना ही कठिन।
उधर कांग्रेस ने उमा भारती की इस मांग पर शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।कांग्रेस महासचिव राजीव सिंह ने कहा है-आज उमा जी जो कह रही हैं वह हम बहुत पहले से कह रहे हैं।प्रदेश महिला उत्पीड़न के मामलों में सबसे आगे हैं।सिर्फ़ शराबी ही नही सरकार की लापरवाही और अक्षमता इसके लिए जिम्मेदार है।उमा जी सन्यासिन हैं।अब वे खुद शराब बंदी के लिए मुहिम चलाएंगी!बेहतर होगा कि सरकार उनके लट्ठ उठाने से पहले उनकी मांग मान ले।मेरा तो उमा जी से यह भी अनुरोध है कि वे सभी भाजपा शासित राज्यों में शराबबन्दी की मुहिम चलाएं।
उमा भारती अब गंगा यात्रा पर निकलने वाली हैं।चार महीने तक वे यात्रा पर रहेंगी।मकरसंक्रांति को लौटेंगी।उमा का दावा है कि गंगा उनकी माँ हैं।लेकिन सच्चाई यह है कि इसी "मां" को प्रदूषण मुक्त करने का जिम्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सौंपा था। निर्धारित समय में वे कुछ नही कर पायीं।इसी बजह से राजनीति में हाशिये पर चली गईं है।देखना यह है कि गंगा उमा भारती का पुनर्वास करा पाएंगी कि नहीं।"गंगापुत्र" की नजर उन पर पड़ेगी कि नहीं।या फिर राजनीति की बियावान में भटकना ही उनकी "नियति" बन गया है।