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(व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा)
बताइए, ये विपक्ष वालों की सरासर ज्यादती, बल्कि अत्याचार, नहीं तो और क्या है! बेचारे मोदी जी को मौनव्रत तोड़ने और मणिपुर पर मुंह खोलने के लिए मजबूर कर दिया। और मुंह भी यहां-वहां नहीं, संसद में खोलने के लिए, कि सारी दुनिया देख ले कि विपक्ष वालों ने आखिरकार बंदे का मौनव्रत भंग करा ही दिया। डैमोक्रेसी की मम्मी के पीएम जी का मौनव्रत भंग कराने का ऐसा राष्ट्रद्रोही घमंड! तूने शोकाकुल हृदय का मौन तुड़वाया है रे घमंडिया, अमृतकालीन भारत तुझे कभी माफ नहीं करेगा।
मोदी जी के मुंह से भी आखिरकार निकल ही गया -- मणिपुर मेरे जिगर का टुकड़ा है! विरोधियों के लिए होगा मणिपुर सिर्फ एक इलाके का नाम या वहां रहने वालों का नाम या एक राज्य का नाम; विरोधियों को दिखाई देता होगा मणिपुर में पालिटिक्स का मौका, मणिपुर का राज, मणिपुर की विधानसभा और लोकसभा की सीटें; वह मोदी जी का तो जिगर है। और जनाब जिगर में बड़ी आग है। बंदे के जिगर में जिधर देखो, उधर ही आग लगी हुई है। रक्तपात हो रहा है। लाशें गिर रही हैं। अस्मतें लुट रही हैं। गोलियां चल रही हैं। घर उजड़ रहे हैं। गिरजे-मंदिर जल रहे हैं। फौजें फौजों से भिड़ रही हैं। बफर जोन बन रहे हैं। बंदे के जिगर में मार तमाम कोहराम मचा हुआ है। बंदा फिर भी भीतर ही भीतर सारी आग को पीने में लगा है, पर मजाल है जो चेहरे पर कोई शिकन आ जाए या जुबां से एक उफ तक निकल जाए। वर्ना दुनिया वाले क्या कहेंगे; कहने को विश्व गुरु और ये हाल! धिक्कार है इन विपक्ष वालों को, पट्ठों ने कोंच-कोंचकर मोदी जी का मुंह खुलवा दिया और उनके जिगर के टुकड़े का हाल, दोस्तों और दुश्मनों सब को दिखा दिया। वह भी सिर्फ इसके झूठे घमंड में कि हम, पीएम का भी मौनव्रत तुड़वा सकते हैं!
ये अधर्मी क्या समझेेंगे मौनव्रत की महत्ता। मोदी जी का मौन दु:ख का, शोक का मौन था! विपक्ष वालों, तुम्हें मोदी जी का मौन भंग करा के आफत मोल नहीं लेनी थी। सवा दो घंटे के रिकार्ड ब्रेकिंग भाषण से शुरूआत हो गयी है। अब सिर धुनना, जब मोदी जी अपने जिगर की आग में तुम्हारी पांच-पांच पीढिय़ों को जलाएंगे!
(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक 'लोकलहर' के संपादक हैं।)