संपादकीय

ख़बरों पर नजर रखने का सरकारी आदेश भी पहले पन्ने पर नहीं है

Shiv Kumar Mishra
19 Aug 2023 10:53 AM GMT
ख़बरों पर नजर रखने का सरकारी आदेश भी पहले पन्ने पर नहीं है
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दिल्ली दंगे के अभियुक्तों, अकील अहमद, रहीश खान और इरशाद को बरी कर दिये जाने तथा दिल्ली की एक अदालत द्वारा दिल्ली पुलिस की खिंचाई किये जाने की खबर आज हिन्दुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया, दोनों में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। इस समय देश में जो हालात हैं और सांप्रदायिक दंगों पर जो दावे किये जाते हैं तथा जो रवैया है उसके मद्देनजर मेरी राय में दिल्ली के अखबारों में यह खबर पहले पन्ने पर होनी चाहिए। केंद्र की भाजपा सरकार को नीचा दिखाने के लिए नहीं, भूतपूर्व और भावी दंगाइयों को यह बताने के लिए कि करता कोई है, भरना किसी और को पड़ता है तथा राजनीति ऐसा करती है तो इसके शिकार वे भी हो सकते हैं। नकली अभियुक्त छूट गये तो अब असली पकड़े जा सकते हैं।

सरकार अगर ऐसी ही है तो भी इसे हाईलाइट किया जाना चाहिये पर सरकार की भक्ति करनी हो और जमीर ऐसा करने की इजाजत दे तो संपादक जनता को मरने और राजनीतिज्ञों को हिंसक व सांप्रदायिक राजनीति करने में सहयोग करते रह सकते हैं। यह उनका विवेक है, आजादी भी। मैं लोगों को बताता रहूंगा जो अलग मामला है। आप जानते हैं कि दिल्ली पुलिस सीधे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में काम करती है तथा सीएए / एनआरसी के समर्थकों और विरोधियों के बीच झगड़े के बाद दिल्ली में दंगा हो गया था। इसमें 53 लोग मारे गये थे, 700 के करीब लोग घायल हुए थे। फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के इन्हीं दंगों से संबंधित एक मामले की जांच किए बिना सबूतों में हेरफेर करने के लिए दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने दिल्ली पुलिस की आलोचना की है और तीन आरोपियों को बरी कर दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, “कथित घटनाओं में शामिल होने के लिए आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर संदेह होने के बजाय…मुझे आईओ (जांच अधिकारी) पर संदेह है कि उसने रिपोर्ट की गई घटनाओं की ठीक से जांच किए बिना इस मामले के सबूतों में हेरफेर किया है।” आज ही इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर एक खबर है जो बताती है कि हरियाणा के नूंह में ‘बुलडोजर न्याय’ चुन कर नहीं किया गया था और हाल के इस ध्वस्तीकरण अभियान के कुल 354 पीड़ितों में 283 मुस्लिम हैं और 71 हिन्दू। इसके साथ यह याद दिला दूं कि मंगलवार, 25 अप्रैल 2023 को कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था, ‘गलती से भी कांग्रेस आई तो पूरा कर्नाटक दंगे से ग्रस्त हो जाएगा’। पूरा पढ़ना चाहें तो मीडिया विजिल देखें।

यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा था, एक तरफ डबल इंजन की सरकार बीजेपी की है तो दूसरी तरफ रिवर्स गियर सरकार है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस आ गई तो सबसे बड़ा भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण, परिवारवाद होगा और कर्नाटक राज्य दंगे से ग्रस्त हो जाएगा। कर्नाटक में 20 मई को कांग्रेस सरकार ने शपथ ली थी। आज द हिन्दू में खबर है, कर्नाटक ने भाजपा राज में 40 प्रतिशत कमीशन के आरोप की जांच के लिए एक पैनल बनाया है। यह खबर किसी और अखबार में पहले पन्ने पर तीन कॉलम में नहीं दिखी। अजीत पवार के भाजपा सरकार में शामिल होने और शरद पवार को लेकर परेशानी और अटकलों की खबर अब पुरानी हो चुकी है। इसी तरह, मणिपुर के नगा प्रभुत्व वाले जिले में तीन लोग मारे गये यह दूसरे अखबारों में इतनी प्रमुखता से नहीं है। नवोदय टाइम्स ने इसे लीड बनाया है पर इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर सिंगल कॉलम में है।

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