संपादकीय

अकबर, अब्बास और शाहनवाज के बाद है किसका नंबर?

Shiv Kumar Mishra
1 Oct 2022 6:59 AM GMT
अकबर, अब्बास और शाहनवाज के बाद है किसका नंबर?
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सय्यद आली मेहंदी

जैसे जैसे भाजपा अपने कड़े फैसलों को लेकर मजबूती की राह पर और आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे भारतीय जनता पार्टी में शीर्ष स्तर पर मुस्लिम चेहरे दरकिनार किए जा रहे हैं। हो सकता है यह पार्टी की कोई रणनीति हो या फिर यह भी हो सकता है कि जिन जिम्मेदारियों को शीर्ष पदों पर मुस्लिम नेता निभा रहे थे उन पदों पर मुस्लिम नेताओं से बेहतर लोग काम करने वाले पार्टी को मिल गए और पार्टी ने उन्हें रिप्लेस कर दिया।

लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि यह संयोग नहीं हो सकता कि भाजपा को उन्हीं पदों पर और अधिक अच्छा काम करने वाले लोग मिल गए जहां मुस्लिम चेहरे पार्टी की नुमाइंदगी कर रहे थे। बात करते हैं सबसे पहले वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर की जिन्हें मी टू आंदोलन के चलते पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

यह बता दूं कि पूरे देश में लगभग 23 सेलिब्रिटी विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी नहीं जो कि मी टू आंदोलन की चपेट में आए लेकिन मात्र तीन ही लोग ऐसे थे जिन्हें पद से हाथ धोना पड़ा उनमें एमजे अकबर भी एक है। इसके बाद बात करते हैं मुख्तार अब्बास नकवी की जिन्होंने लगभग ढाई दशक तक भारतीय जनता पार्टी का मुस्लिम चेहरा बनकर काम किया लेकिन गत दिनों राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें दोबारा राजसभा नहीं भेजा गया।

जबकि अल्पसंख्यक मंत्रालय के जरिए उन्होंने अल्पसंख्यकों के हितों के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए जो कि मील का पत्थर साबित हुए। हुनर हाट,गरीब बच्चों की पढ़ाई, महिला सशक्तिकरण,अल्पसंख्यकों के रोजगार में इजाफा सहित उनके कई यादगार काम निश्चित रूप से याद रखे जाएंगे। इसके अलावा अपनी जबान के जादू से भाजपा का झंडा मीडिया के आगे बुलंद करने वाले राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने केंद्र से बिहार भेज दिए गए। कुल मिलाकर केंद्र की राजनीति में कोई मजबूत मुस्लिम चेहरा दिखाई नहीं देता।

पिछले दिनों केरला के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को राष्ट्रपति बनाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी लेकिन अचानक की द्रौपदी मुरमू का आगमन हुआ और उन्हें अरे साहब पर तरजीह देते हुए राष्ट्रपति बनाया गया। ऐसे में अब चर्चा जोरों पर है कि भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिमों की ज्यादा तंग होती जा रही है।

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