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अफजल गुरु को शहीद का दर्जा देने की मांग करने वाली पीडीपी के साथ बनाई बीजेपी ने सरकार

Special News Coverage
4 April 2016 8:56 AM GMT

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लखनऊ सजय शर्मा
देश में बहुत पुरानी कहावत है कि चोर-चोर मौसेरे भाई। ये कहावत वर्तमान दौर में भारतीय राजनीति पर पूरी तरह से फिट बैठती है। राजनीतिक दल सत्ता की चाह में वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। भाजपा, जिसने जेएनयू में अफजल गुरु के समर्थन में हुई सभा को लेकर पूरे देश में हंगामा किया था, वहीं आज जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी को उसने समर्थन कर महबूबा मुफ्ती को सत्ता सौंप दी। महबूबा ने आतंकी अफजल गुरू को शहीद का दर्जा देने की मांग की थी। यह अजीब विडंबना है कि देशभक्ति का दंभ भरने वाली भाजपा, अफजल गुरु के सम्मान में कसीदे पढऩे वाली महबूबा मुफ्ती को समर्थन कर रही है।


तीन महीनों के जद्दोजहद के बाद आखिरकार जम्मू एवं कश्मीर में भाजपा के समर्थन से महबूबा मुफ्ती की ताशपोशी हो गई। महबूबा ने वर्ष 2001 में संसद पर हमले में अफजल गुरु की कथित भूमिका के लिए उसे फांसी दिए जाने को गलत ठहराया था। उन्होंने अफजल गुरु को शहीद का दर्जा देने की मांग की थी और उसी अफजल गुरु को लेकर भाजपा समय-समय पर सियासत करती रही है। जेएनयू में 9 फरवरी को अफजल गुरु के समर्थन में सभा की गई थी और देशद्रोही नारे लगे थे तब भाजपा ने जमकर सियासत की थी। कई छात्रों की गिरफ्तारी हुई तो कई छात्रों से पूछताछ। एक पखवारे तक इस मुद्दे को लेकर पूरे देश में माहौल गरम रहा। जेएनयू परिसर छावनी में तब्दील हो गई। भाजपा के दिग्गज देशभक्ति दिखाने में सबसे आगे रहे। वरिष्ठ नेता से लेकर कार्यकर्ता तक देशभक्ति से लबरेज भाषण देते दिखे थे। लेकिन आज हालात बदल चुके है। सत्ता में बने रहने की चाह में भाजपा के दिग्गजों की देशभक्ति खत्म हो गई। अफजल गुरु की समर्थक महबूबा मुफ्ती को समर्थन देकर जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी-भाजपा की सरकार बन गई।

गौरतलब है कि 7 जवनरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के निधन के बाद 8 जनवरी से जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू है। 22 मार्च को महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद राज्यपाल से मिलकर सरकार गठन का दावा पेश किया था।



कुमार विश्वास ने भी महबूबा को लिखा था पत्र ‘आप’ नेता कुमार विश्वास ने महबूबा मुफ़्ती के नाम लिखा खुला खत
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने 25 मार्च को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती को अफजल गुरु पर अपना नजरिया स्पष्ट करने का आग्रह किया था। कुमार विश्वास ने महबूबा को पत्र लिखकर नौ फरवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भारत विरोधी नारे लगाकर लापता हुए कश्मीरी युवकों की गिरफ्तारी में सहयोग करने का आग्रह किया है। विश्वास ने पत्र में लिखा था कि हमें पता चला है कि आप भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन सरकार बनाने वाली हैं, लेकिन संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु को शहीद मानने जैसे कई मुद्दों पर आपके विचार स्वीकार नहीं किए जा सकते। अब हमें पता चला है कि अफजल पर आपने अपना पुराना नजरिया बदल लिया है। क्या है आपका नया नजरिया?

शपथ के बाद क्या महबूबा ‘भारत माता की जय’ कहेंगी : उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई सरकार के शपथ ग्रहण करने के बाद पीडीपी-भाजपा के सभी सदस्य ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाएंगे। उमर ने कल ट्विटर पर लिखा था, ‘मैं पीडीपी-भाजपा गठबंधन के सभी सदस्यों को शपथ ग्रहण करने के बाद ऐसा कहते हुए देखने को लेकर उत्साहित हूं।’ उमर, महाराष्ट के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की उस टिप्पणी को लेकर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें फडणवीस ने कहा था कि ‘भारत माता की जय’ का नारा न लगाने वाले लोगों को देश में रहने का कोई हक नहीं है।

रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस
पीडीपी हमेशा से अलगाववादियों का समर्थन करती रही है। कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी झंडे लहराने वालों और पठानकोट में हमला करने वालों के प्रति भी सहानुभूति दिखाती रही है। ऐसे में खुद को राष्टï्रवादी पार्टी बताने वाली बीजेपी का मुफ्ती को सरकार बनाने में सहयोग करना, उनके अंदर सत्ता की भूख को दिखाता है। मतलब साफ है कि भाजपा को राष्टï्र से नहीं सत्ता से प्यार है।

आईपी सिंह प्रवक्ता भाजपा

लोकतंत्र में सबको सरकार बनाने का हक है। कश्मीर के लोगों ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बनाकर यह हक दिया है। कश्मीर से धारा 370 कैसे हटे, वहां सबको लोकतांत्रिक तरीके से रहने का अधिकार कैसे मिले, इसके बारे में दूरदृष्टिï रखकर भाजपा कश्मीर में सरकार का गठन करा रही है। जिन लोगों का लोकतंत्र में यकीन नहीं, वह बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं।

वैभव माहेश्वरी, आम आदमी पार्टी
महबूबा मुफ्ती का समर्थन कर बीजेपी ने देशवासियों के साथ छल किया है। बीजेपी की देशभक्ति भी सिर्फ दिखावा है। सत्ता की चाहत में वह कुछ भी कर सकती है। महबूबा मुफ्ती या पीडीपी के बारे में कुछ भी कहना बेमानी है। उनका तो पाकिस्तान के प्रति शुरु से नरम रवैया रहा है। जब वह अफजल गुरु को शहीद का दर्जा देने की मांग कर सकती हैं तो उनके बारे में क्या कहा जाए।
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