You Searched For "see your Baat on Google"

जहां जीवन ही स्टेक पर लगा हो, वहां पत्रकारिता की किसे पड़ी है?

जहां जीवन ही स्टेक पर लगा हो, वहां पत्रकारिता की किसे पड़ी है?

पत्रकारिता दिवस बीत गया। मेरी आदत है दिन बीतने के बाद लिखना। राडार इसी वक्त खड़ा होता है। मैं सार्वजनिक शुभकामनाएं नहीं देता। न होली की, न दिवाली की, न ईद की, न पत्रकारिता दिवस की। निजी संदेश आते हैं...

31 May 2020 9:20 AM IST