दोनों लेखक उस दौर में अपनी कलम से इस्लाम को पेश कर रहे थे जिस दौर में इस्लाम के नाम पर चंद मजहबी रसूमात को पूरा दीन बनाकर मुसलमानो मे रायज कर दिया गया था...'