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इन गलियों से बेदाग़ गुजर जाता तो अच्छा था : कुँवर नारायण
1) जख़्मइन गलियों से बेदाग़ गुजर जाता तो अच्छा थाऔर अगरदाग ही लगना था तो फिरकपड़ों पर मासूम रक्त के छींटे नहींआत्मा परकिसी बहुत बड़े प्यार का जख़्म होताजो कभी न भरता2) एक अजीब दिनआज सारे दिन बाहर घूमता...
18 Sept 2021 4:23 PM IST