ढपोरशंख नुमा घोषणाएं से भरा हुआ बजट, जानिये क्यों?
पंरपरागत तौर पर आम चुनावों से पहले सत्ताधारी सरकार अपने आखिरी बजट के तौर पर वोट-ऑन-अकाउंट पेश करती है.
गिरीश मालवीय
ढपोरशंख नुमा घोषणाएं से भरा हुआ बजट कल सदन में प्रस्तुत किया गया, यह बजट वास्तव में अंतिरम बजट था दरअसल कोई भी सरकार 5 साल में 6 पूर्ण बजट नहीं ला सकती, अंतरिम बजट कुछ महीने के लिए पेश किया जाता है।
पंरपरागत तौर पर आम चुनावों से पहले सत्ताधारी सरकार अपने आखिरी बजट के तौर पर वोट-ऑन-अकाउंट पेश करती है. सरकारें ऐसा इसलिए करती हैं ताकि आने वाली सरकारों पर उनकी घोषणाओं का बोझ ना पड़े, क्योंकि नई सरकार को पुरानी सरकार की घोषणओं से आपत्ति हो सकती है या फिर नई सरकार उसे पलट सकती है.
बजट के साथ फाइनेंस बिल भी होता है। इसे 75 दिनों में पास करना जरूरी है। बजट के प्रस्ताव संबंधित विभागों की समिति को भेजे जाते हैं। उनकी रिपोर्ट के बाद ही फाइनेंस बिल पास होता हैं अभी चुनाव के कारण यह संभव नहीं हैं इसलिए जो मर्जी चाहे आप घोषणा कर दो वास्तव में उन घोषणाओं के लाभ आपको अगली सरकार ही दे सकती है।
कल 2018-19 का बजट जो सरकार ने पेश किया था उसके जरिये सिर्फ 31 मार्च 2019 तक होने वाले खर्च की अनुमति ली गई हैं चूंकि चुनाव अप्रैल-मई में होना है. और नई सरकार के बनने और नया बजट पेश होते होते जुलाई आ जाएगा. तो अप्रैल से जुलाई यानी 4 महीने में जो राशि खर्च होनी हैं उसकी अनुमति इस बार के अंतरिम बजट से ली जा रही हैं यह देश का 15वां अंतरिम बजट हैं।
हर बार उद्योग धंधों से जुड़ी राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं अपनी सिफारिशें वित्त मंत्रालय को बजट के लिए भेजती है लेकिन इस बार देश की जानी मानी इंडस्ट्री एसोसिएशन ने अपनी ओर से ये सोचकर कोई सुझाव नहीं भेजे कि इस बार वोट-ऑन-अकाउंट पेश होगा. कुछ एसोसिएशन को बेहद जल्दबाजी में इन सुझावों को रातोंरात तैयार करना पड़ा।
परंपरा रही है कि अंतरिम बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की जाए. ओर न ही 'वोट ऑन एकाउंट' में करों से संबंधित विशेष प्रावधान नहीं किये जाते हैं. 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार और 2009 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी अंतरिम बजट में करों का कोई नया प्रावधान नहीं किया था, लेकिन यूपीए-2 ने फरवरी 2014 में जो वोट-ऑन-अकाउंट पेश किया था, उसमें तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कई घोषणाएं कर दी थीं उन्होंने एक्साइज ड्यूटी में बड़ी कटौती की थी. जिसकी वजह से कमर्शियल व्हीकल, कारें, दो पहिया वाहन और मोबाइल फोन की कीमतों में कटौती हो गई थी. इस बात की कड़ी आलोचना भी की गयी उस वक्त प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने इसे चुनावी बजट की संज्ञा दी थी लेकिन इस बार तो वह एक कदम ओर आगे बढ़ गए हैं।
कल पेश हुए बजट में मोदी सरकार ने यहाँ तक ऐलान कर दिया कि 5 लाख तक की सालाना कमाई करने वाले लोगों को इनकम टैक्स नहीं देना होगा वास्तव में ऐसी घोषणा किये जाने का कोई मतलब ही नही था क्योंकि सरकार का यह मात्र प्रस्ताव है. नई सरकार बनने के बाद इस प्रस्ताव को नए सिरे से मंजूरी लेनी होगी. इस घोषणा के साथ ओर भी बहुत सारी विसंगतियां है जो किसी सीए के साथ ही बैठने से समझ आएंगी।
लेकिन कमाल की बात यह है कि इस अंतरिम बजट को मीडिया ऐसे पेश कर रहा है कि इस बजट में की गयी घोषणाओं के लाभ मध्यवर्ग ओर किसानों को मिलने शुरू भी हो गए है।
लेखक आर्थिक मामलों के जानकार है