पांच सालों में पौने पांच करोड़ रोजगार हुए कम, जरा ये रिपोर्ट भी चौकीदार साहब पढ़ लेते
बेरोजगारी के आंकड़े सरकार का पीछा छोड़ते नहीं दिख रहे हैं। रोजगार पर कांग्रेस और दूसरे दल लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हो रहे हैं। हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा करके मोदी सरकार सत्ता में आई थी, लेकिन अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट से सरकार पर फिर सवाल उठने लगे हैं। अखबार में छपी NSSO की एक रिपोर्ट ये बताती है कि पांच सालों में रोजगार में पौने पांच करोड़ की कमी आई है। मतलब रोजगार मिलने की बजाए कम हुए है।
दो करोड़ नौकरियां देने का वादा करके सत्ता में आई मोदी सरकार फिर से विरोधियों के निशाने पर है और इसकी वजह बनी है रोजगार के आंकड़े जारी करने वाली सरकारी संस्था NSSO इस संस्था की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कामगारों की संख्या तेजी से घट रही है। NSSO के आंकड़े बताते हैं कि देश के ग्रामीण इलाकों में 4.3 करोड़ रोजगार कम हुए जबकि शहरों में 40 लाख रोजगार कम हुए है। मतलब की देश में कामगारों की संख्या में पौने पांच करोड़ की कमी आई है।
वहीं इस सर्वे के मुताबिक पुरुष कामगारों की संख्या में पांच सालों में 1 करोड़ अस्सी लाख की कमी आई है। 2011-12 के दरम्यानी साल में पुरुष कामगारों की संख्या 30 करोड़ 40 लाख थी जो घट कर 2017-18 में 28 करो़ड़ 60 लाख हो गई। इसका मतलब है कि इन पांच सालों में 1 करोड़ 80 लाख कामगार कम हुए। अगर हम 193-194 से 2011-2012 के आंकड़ों की तुलना करें तो इन 18 सालों में 6 करोड़ 60 लाख कामगार बढ़े थे।
अब विपक्ष रोजगार के इस हालिया आंकड़ों पर सरकार पर हमलावर हो गया है। सरकार के इस कदम के विरोध में NSSO के कार्यवाहक चेयरपर्सन पीसी मोहनन और एक सदस्य जे वी मीनाक्षी इस्तीफा दे चुके हैं। खास बात ये है कि सरकार ने इस रिपोर्ट को जारी करने से फिलहाल रोक दिया है, लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार अभी तक बेरोजगारी और रोजगार पर आए सभी आंकड़ों को मिलाकर चुनाव से पहले नए आंकड़े जारी कर सकती है।