कोविड के इस दौर में एलआईसी एक बार फिर हीरो बनकर उभरी है वहीं निजी बीमा कंपनियां क्रूर और अविश्वनीय साबित हुई
आवेश तिवारी
कोविड के इस दौर में एलआईसी एक बार फिर हीरो बनकर उभरी है वहीं निजी बीमा कंपनियां क्रूर और अविश्वनीय साबित हुई हैं। शायद ही एलआईसी ने किसी बीमाधारक कोविड पॉजिटिव रोगी का क्लेम केवल इसलिए रोका हो कि उसकी मौत कोविड से हुई है लेकिन निजी बीमा कंपनियों ने फोर्स मजेयर का इस्तेमाल करके विपत्ति के इस वक्त में उपभोक्ताओं के लिए भारी मुसीबत पैदा कर दी है।
मेरे पास ऐसे कई मामले आये हैं जिनमे बीमा से जुड़ी कंपनियों ने यह कहकर क्लेम देने से इनकार कर दिया कि संबंधित व्यक्ति , कोविड रोगी के संपर्क में रहकर खुद को संक्रमित कर लिया इसलिए क्लेम नही दिया जा सकता है। लेकिन एलआईसी ने लगभग कोविड से होने वाली हर मौत को लेकर क्लेम के मामले में पूरी जिम्मेदारी निभाई है।
मित्र Soumitra Roy कहते हैं कि अस्पतालों में ज़्यादातर खर्च ग़ैर ज़रूरी चीजों पर हुए हैं। भाई बीमा कंपनी पीपीई किट, टेलीमेडिसिन पर तो पैसे देगी नही। निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड इसीलिए तो नहीं ले रहे, क्योंकि इन सब चीजों का पैकेज उसमें है ही नहीं। नतीजा यह हुआ है कि कोविड के दौरान बीमा करवाने वालों की जेब भी 35-40% तक कटी है।
वही बीमा विशेषज्ञ तन्मय तिवारी Tanmay Tiwari कहते हैं कि आने वाले समय मे जनता को अपना एक इमरजेंसी फंड खुद तैयार करना पड़ेगा निजी बीमा कंपनियों और निजी अस्पतालों पर भरोसा नही किया जा सकता।