इंटरनेट शटडाउन के मामले में इंडिया सबसे आगे, रिपोर्ट में हुआ ये बड़ा खुलासा

Update: 2019-12-25 08:02 GMT

नई दिल्ली। CAA और NRC जैसे कानून को लेकर इन दिनों देश में हालात काफी नाजुक हैं। कही लोग इसका समर्थन करक रहे है तो कही विरोध प्रदर्शन हो रहा है कई ईलाकों में इन प्रदर्शन ने उग्र रूप लिया है जिसमें सार्वजनिक प्रापॅर्टी के साथ ही आम जनता को भी जान-माल का नुकसान हुआ है। भीड़ में हिंसा न बढ़े तथा कानून को तोड़ा जाए ऐसे प्रयास में सरकार द्वारा अलग अलग क्षेत्रों में कई बार इंटरनेट पर रोक लगाई गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं पूरी दुनिया में अकेला भारत ही ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा इंटरनेट बंद किया जाता है।

इंटरनेट बंद को लेकर  ऐसी ही एक रिपोर्ट आई है जिसे जानकर हैरानी हो रहा है उसको आप भी जान ले इंटरनेट बंद की बात आती है तो पूरी दुनिया में सबसे पहले भारत का ही नाम आता है। साल 2018 में पूरे विश्व में जितना इंटरनेट बंद हुआ है उसमें 67 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ भारत देश का है। इंटरनेट एडवोकेसी ग्रुप ऐक्सेस नाउ और सॉफ्टवेयर फ्रीडम ऐंड लॉ सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2012 से अब तक इंडिया में 373 बार इंटरनेट बंद किया गया है। इंटरनेट शटडाउन डॉट इन के मुताबिक साल 2019 में अभी तक 104 बार इंटरनेट बंद किया जा चुका है।

2012 से 2019 तक इंटरनेट बंद किए जाने वाले टॉप 5 राज्यों की बात करें तो इनमें जम्मू-कश्मीर सबसे उपर है। रिपोर्ट के मुताबिक जेके में 180 बार इंटरनेट बंद किया गया है। इसके साथ राजस्थान दूसरे नंबर पर आता है जहां 67 बार इंटरनेट को रोका गया है। इस सूची में तीसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश मौजूद है जहां 20 बार इंटरनेट बंद हुआ है। 13 बार इंटरनेट बैन के साथ हरियाणा चौथे नंबर पर आता है। और इस लिस्ट में बिहार और गुजरात 11 बार इंटरनेट शटडाउन के साथ पांचवें नंबर पर मौजूद है। बता दें कि कश्मीर में गत 5 अगस्त को इंटरनेट बंद किया गया था, जो अभी भी जारी है। यानि यहां 140 से भी ज्यादा दिन से इंटरनेट बंद है।

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2012 से 2017 तक इंटरनेट बंद होने से इंडिया को तकरीबन 3 बिलियन डॉलर यानि 300 करोड़ डॉलर तक का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान गुजरात ने झेला है जिसे 1177.5 मिलियन डॉलन की हानि उठानी पड़ी है। जम्मू-कश्मीर को 610.2 मिलियन डॉलर, हरियाणा को 429.2 मिलियन डॉलर, राजस्थान को 182.9 मिलियन डॉलर, यूपी को 53 मिलियन डॉलर और बिहार को इंटरनेट बंद होने से 51.9 मिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है।

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन (ICRIER) की स्टडी के मुताबिक साल 2012 से 2017 के बीच पूरे देश में तकरीबन 16,000 घंटे इंटरनेट बंद रहा है। सीओएआई के अनुसार टेलीकॉम कंपनियों को इंटरनेट बंद होने से प्रत्येक सर्किल में हर घंटे तकरीबन 2.45 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है।

देश में इंटरनेट पर कैसे लगता है बैन?

केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट बैन करने का ऑर्डर देते हैं।  यह ऑर्डर एसपी या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी के माध्यम से भेजा जाता है। उक्त अधिकारी सर्विस प्रोवाइडर्स को इंटरनेट सर्विस ब्लॉक करने के लिए कहता है।

ऑर्डर को अगले कामकाजी दिन (वर्किंग डे) के भीतर केंद्र या राज्य सरकार के रिव्यू पैनल के पास भेजना होता है। इस रिव्यू पैनल को 5 वर्किंग डेज में इसकी समीक्षा करनी होती है। केंद्र सरकार के रिव्यू पैनल में कैबिन सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और टेलिकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी होते हैं। वहीं, राज्य सरकार से दिए गए आदेश के रिव्यू पैनल में चीफ सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और एक कोई अन्य सेक्रेटरी शामिल रहता है।

इमरर्जेंसी की स्थिति में केंद्र या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत किए गए जॉइंट सेक्रेटरी इंटरनेट बैन करने के लिए आदेश दे सकते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें 24 घंटे के भीतर केंद्र या राज्य के गृह सचिव से इसकी मंजूरी लेनी पड़ेगी। सरकार के आदेश के बाद इंटरनेट बंद करने के लिए टेलीकॉम कंपनियां बताए गए इलाकों में अपने ट्रांसमिटिंग टावर्स से सेल्युलर नेटवर्क और मोबाइल फोन इंटरनेट सर्विसेज देने वाले सिगनल्स को ऑफ कर देती हैं।

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