यह है न खाऊंगा न खाने दूँगा की हकीकत, विपक्ष के मुंह में क्यों जमा है दही!
गिरीश मालवीय
IL&FS कंपनी में 40 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बैंकों और एलआईसी जैसी कंपनियों की है, ओर आज आईएलएंडएफएस समूह के नए निदेशक मंडल ने कंपनी के 14 पूर्व निदेशकों पर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है। प्रबंधन का आरोप है कि 'बाहरी और समूह की कंपनियों के धोखाधड़ीपूर्ण ऋण को मंजूर किया गया है।
खास बात यह है कि मोदी शासन के दौरान बीते चार साल में आईएल एंड एफएस पर कर्ज में 42,420 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई है.
अभी जो ऑडिट कराया गया है उसमें पाया गया है कि आईएलएंडएफएस समूह में 13000 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ियां हो सकती हैं। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 29 ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कर्जदारों को दिए गए ऋण का इस्तेमाल उनकी समूह की कंपनियों ने आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के मौजूदा कर्ज को ही चुकाने में किया है.
पूर्व चेयरमैन रवि पार्थसारथी पर पहले ही ईडी कार्यवाही कर रही है यह बहुत बड़ा घोटाला है जिसमे मोदी सरकार बुरी तरह से घिर सकती है लेकिन विपक्ष आँख मूंदकर बैठा हुआ है.
लेखक आर्थिक मामलों के जानकार है और यह उनके निजी विचार है.