दो दिन से लोग हल्ला मचाये है "GDP गिर गई" "GDP गिर गई", माईनस मे चली गई, जाने क्या-क्या मूर्खतापूर्ण बातें हो रही है!
सुनील कुमार मिश्रा
दो दिन से लोग हल्ला मचाये है "GDP गिर गई" "GDP गिर गई"। माईनस मे चली गई। जाने क्या-क्या मूर्खतापूर्ण बातें हो रही है। दरअसल इस देश में अनर्थशास्त्र की समझ है ही नही। मोटे शब्दों में अगर समझाये, तो अगर आपको अपनी खुद की गाड़ी से दूर तक यात्रा करनी हो, तो आप गाड़ी की सर्विस करवा कर उसका तेल पानी दोनो टायर की हवा सब दुरुस्त करेंगे। गाड़ी मे ईधन भी टंकी में फुल करवा कर ही लम्बी यात्रा को निकलेगे। ठीक उसी तरह जब उद्देश्य 5 तेलीयन इकोनामी का हो तो ऐसै सब इंतजाम करने होते है।
तो मित्रों देश की अर्थव्यवस्था को एक ऐसा मुकाम देना है कि माउंट एवरेस्ट भी उस ऊचाई को देख लजा जाये। इसलिए जब देखा कि GDP की बोरिंग काफी पुरानी और ज्यादा गहरी नही है। बोरिंग पुरानी और कम गहराई होने के कारण 5 तेलीयन इकोनामी को गहराई से खींच कर बाहर लाने मे सक्षम नही है। इसलिए फैसला लिया गया की GDP को रिवर्स बोरिंग करके उच्च तकनीक और इतनी गहराई से सुसज्जित कर दिया जाये कि हमारी GDP का पाईप गहरे मे अमेरिका देश के भूतल की समृद्धि खींचने मे सक्षम हो। उसी तकनीक पर काम चल रहा है, जब GDP का पाईप गहराई में जायेगा तो निश्चित ही मशीने जब गहराई दर्शाती है तो उसकी गणना की विधि है माईनस यानी धरती के तल से -23.9% नीचे। इसका मल्लब GDP का गिरना कतई नही होता। जिस वृक्ष को आकाश छूना होता है उसको अपनी जड़ो को ज़मीन मे गहरे मे चारों तरफ फैलाना होता है। लोग़ सिर्फ उस वृक्ष की ऊंचाई देखते है। यह नही सोचते की गहरे मे यह वृक्ष जमीने के नीचे कितना है?
जितनी गहरी और टिकाऊ GDP होगी👉उसको उतना ही नीचे धरती पर जाना होगा और मुखी की सोच कमाल की है। उनका कहना है कि इतनी गहरी कर दो की हमारी GDP के पाईप उस पार देश के लोग बिजली के खंभों में इस्तेमाल करे। इससे ना सिर्फ हमारी GDP गहरी होगी बल्कि हमे GDP से फ्री मे उस देश की ऊर्जा भी मिलेंगी। मुखी की हर दिशा मै सौचने की विधि कमाल की है। लोग़ ख्वामखाह में हल्ला गुल्ला मचायें है..