कोरोना के कारण 30 साल पीछे पहुंच जाएंगे ये 8 देश, भारत का होगा ये हाल
कोरोना के कारण चीन के वुहान से पैदा हुआ नोवल कोरोना वायरस-2019 पूरी दुनिया में फैल कर कहर बरपा रहा है. हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा.
चीन के वुहान से पैदा हुआ नोवल कोरोना वायरस-2019 पूरी दुनिया में फैल कर कहर बरपा रहा है. हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा. वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के कारण भारत समेत साउथ एशिया के देशों में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक ग्रोथ सबसे बुरी होगी. यह पिछले 30 साल का रिकॉर्ड तोड़ देगी. विश्व बैंक की ओर से रविवार को दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर आधारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साउथ एशिया के आठ देशों में 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष में आर्थिक ग्रोथ 1.8 फीसदी से लेकर 2.8 फीसदी तक रहेगी. 6 महीने पहले 6.3 फीसदी का अनुमान जताया गया था. विश्व बैंक ने रविवार को कहा कि इस वित्तीय वर्ष में 1991 के उदारीकरण के बाद से सबसे खराब विकास प्रदर्शन दर्ज किए जाने की संभावना है.
भारत की आर्थिक हालत भी अच्छी नहीं होगी
विश्व बैंक ने कहा है कि इस क्षेत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी है. चालू वित्त वर्ष में अनुमान है कि इसमें 1.5 फीसदी से लेकर 2.8 फीसदी तक का ग्रोथ रहेगा. हालांकि बैंक ने 31 मार्च 2020 को खत्म हुए वित्त वर्ष 2019-2020 में 4.8 से 5 फीसदी की आर्थिक ग्रोथ का अनुमान जताया है. विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2019 के अंत में दिखाई दे रहे रिकवरी के संकेत इस वैश्विक संकट के कारण समाप्त हो गए हैं.
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मालदीव में आएगी मंदी
विश्व बैंक की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कोरोना संकट के कारण श्रीलंका, नोपाल, भूटान और बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति में गिरावट दर्ज की जाएगी. वहीं पाकिस्तान. अफगानिस्तान और मालदीव में मंदी आने का संकट बना है. विश्व बैंक ने यह रिपोर्ट सभी देशों के 7 अप्रैल तक के डाटा के आधार पर बनाई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए किए गए उपायों से पूरे साउथ एशिया में सप्लाई चेन प्रभावित हुई है. 7 अप्रैल तक इन देशों में कोरोना संक्रमण के करीब 13 हजार मामले थे. जो विश्व के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी कम हैं.
लॉकडाउन से घरों में 130 करोड़ भारतीय
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में चल रहे लॉकडाउन के कारण करीब 130 करोड़ लोग घरों में रहने के लिए मजबूर हैं और करोड़ों लोगों का काम धंधा बंद है. लॉकडाउन से छोटे और बड़े सभी प्रकार के कारोबार प्रभावित हुए हैं और प्रवासी कामगार शहरों को छोड़कर अपने गांवों की और लौट गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यह लॉकडाउन अगर और बढ़ाया गया तो अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा.
बैंक और सरकारों ने किए कई उपाय
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए बैंकों और सरकारों ने कई कदम उठाए हैं. सरकार ने जहां बेरोजगार प्रवासी मजदूरों के लिए कई घोषणाएं की हैं वहीं बैंकों ने कारोबारी और व्यक्तिगत कर्ज को लेकर कई राहतें दी हैं. भारत सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद के लिए 1.7 करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है. वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान ने 45 हजार करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है.
विश्व बैंक के एक अधिकारी हर्त्विज शेफर ने रिपोर्ट में कहा कि साउथ एशिया के देशों की सरकारों को इस वायरस के संक्रमण को रोकने और अपने लोगों को बचाने पर फोकस करना चाहिए. खासकर ऐसे गरीब लोगों पर ध्यान देना चाहिए जिनके स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर इस महामारी का असर पड़ा है. जिनमें साउथ एशिया का भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान शामिल हैं.