कोंडागांव के किसान डॉ राजाराम ने प्रदेश के किसानों की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का पगड़ी पहनाकर भेंट किया श्रीफल

राकेश टिकैत ने बस्तर की काली मिर्च,ऑस्ट्रेलियन टीक औषधीय पौधों की खेती के उच्च लाभदायक मॉडल की जबरदस्त तारीफ की। जल्द ही दोबारा आएंगे कोंडागांव,

Update: 2021-12-26 09:26 GMT

इसी हफ्ते सोमवार को प्रदेश की राजधानी के एक होटल के भव्य सभागार में मीडिया समूहों, शीर्ष व्यापारिक संगठनों जैसे कि फिक्की तथा क्रेडाई आदि के संयुक्त तत्वावधान में "किसानों की बात उद्यमियों के साथ" नामक एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया था। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहला मौका था जब प्रदेश के चुनिंदा उद्यमी, प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री तथा वर्तमान कृषि मंत्री, देश के सर्वोच्च किसान नेता गण, प्रमुख कृषक प्रतिनिधि एवं प्रगतिशील किसान सब एक मंच पर एक साथ विराजमान हुए न केवल विराजमान हुए बल्कि प्रदेश की खेती तथा उद्योग दोनों ही एक दूसरे का पूरक की भूमिका निभाते हुए कैसे प्रदेश का सर्वांगीण विकास किया जाए इस पर विचार मंथन भी किया और यह पूरा आयोजन प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की महत्ता इसी से समझी जा सकती है कि वर्तमान में देश के व्यस्ततम मुख्यमंत्रियों में से एक हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लगभग पूरा दिन इस कार्यक्रम को दिया। कार्यक्रम की शुरुआत किसान रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रदेश के किसानों की ओर से सम्मान स्वरूप "किसान पगड़ी" पहनाने का दायित्व देश के अग्रिम पंक्ति के किसान नेता, अखिल भारतीय किसान महासंघ (देश के 40 प्रमुख किसान संगठनों का महासंघ//आईफा ) के राष्ट्रीय संयोजक कोंडागांव के किसान वैज्ञानिक डॉ राजाराम त्रिपाठी को दिया गया। इसके साथ ही इस महा आयोजन के समापन के अवसर पर भी प्रदेश के किसानों की ओर से डॉ राजाराम त्रिपाठी के द्वारा प्रदेश के उद्यमियों के साथ, प्रदेश की खुशहाली तथा सुख शांति हेतु गौतम बुद्ध की प्रतिमा एवं प्रदेश की सतत समृद्धि हेतु श्रीफल भैया प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल को सादर प्रदान किया गया, इसमें वरिष्ठ किसान नेता पारस राम साहू ने सहयोग किया । इस अवसर पर मंच पर निवृत्त तमाम कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल वर्तमान कृषि मंत्री रविंद्र चौबे देश के जुझारू नेता राकेश टिकैत तथा शिवकुमार कक्का जी तथा वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार डॉ हिमांशु द्विवेदी विराजमान थे। इस अवसर पर प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण उद्यमियों के साथ ही छग मुक्ति मोर्चा के प्रमुख जनकलाल ठाकुर,रामगुलाम ठाकुर, किसान नेता शत्रुघ्न साहू, जुगनू चंद्राकर, रूपन चंद्राकर, तेजराम विद्रोही, हरिसिंह रंधावा,गजेंद्र कोसले, हेमंत टंडन, वेगेंद्र सोनबेर, डा ईश्वर दान, संदीप, प्रगतिशील किसान प्रवीन, शमशेर कुंडू, दलबीर सिंह पन्नू, राहुल के साथ उत्तर प्रदेश से आए किसान नेता राजवीर सिंह जाधव जादौन,अनुज सिंह, अर्जुन शुक्ला भी शामिल थे।


यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि छत्तीसगढ़ का कोंडागांव ही इन तीनों किसी कानूनों के खिलाफ वर्तमान आंदोलन का उद्गम बिंदु है। देश के प्रमुख किसान संगठनों, विपक्षी पार्टियों ने इन कानूनों का सक्रिय विरोध सितंबर 2020 में तब प्रारंभ किया जब यह कानून संसद से पारित हो गया, जबकि इन तीनों किसान कानूनो के विधेयक की शक्ल में 5 जून को जन्म होने के तत्काल बाद कोरोना के लॉक डाउन के बावजूद कोंडागांव से डां राजाराम त्रिपाठी राष्ट्रीय संयोजक अखिल भारतीय किसान महासंघ आईफा के द्वारा हर संभव मंच पर,हर संभव तरीके से विरोध किया गया। जबकि यह वो दौर था कि जटिल कानूनी भाषा में लिखे गए तीनों कानूनों के बारे में विधिवत जानकारी के अभाव में किसान संगठनों ने इन कृषि कानूनों के बारे में प्रकाशित लुभावने सरकारी विज्ञापनों से प्रभावित, भ्रमित होकर इन कानूनों का स्वागत तक कर दिया था। लेकिन 40 से अधिक किसान संगठनों के महासंघ "अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी में इन कृषि बिल्स के पैदा होने की 24 घंटे के भीतर ही इनका बिंदुवार पोस्टमार्टम करके इन्हें पूरी तरह से कारपोरेट के पक्ष में गढ़ा हुआ तथा किसानों का विरोधी पाया तथा अपना विरोध जताया,इतना ही नहीं उन्होंने आईफा द्वारा 16 जून 2020 को राकेश टिकैत जी, युद्धवीर सिंह चौधरी, श्रीराम गाडवे, पुनीत थिंड,जीएन शर्मा सहित देश के प्रमुख किसान नेताओं से वर्चुअल मीटिंग करके इन कानूनों की खामियों बारे से अवगत कराया और इनका समुचित विरोध करने को कहा था।

डॉ त्रिपाठी की इस पहल तथा किसान हितों के लिए सतत संघर्ष के लिए गाजीपुर मोर्चे पर भारतीय किसान यूनियन के द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन भी किया गया था।उल्लेखनीय है कि राकेश टिकैत तथा युद्धवीर सिंह चौधरी इससे पहले ही कोंडागांव आकर मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के किसानों द्वारा की जा रही बस्तर की काली मिर्च ऑस्ट्रेलियन टीक, स्टीविया,सफेद मूसली की खेती देख समझकर इस मॉडल को हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में भी अपनाने की शुरुआत की है । इस अवसर पर राकेश टिकैत ने ही जल्द ही दोबारा बस्तर आने का वायदा भी किया है। कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से चर्चा के दौरान डॉ त्रिपाठी ने कहा कि राजनीति तथा पार्टियों के संदर्भ में हमारे किसानों की नीति स्पष्ट है, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर। किसान सरकार की नीतियों तथा उनके क्रियान्वयन पर पहली नजर रख रहे हैं । खेती तथा किसानों के हित में किए गए कार्यों के आधार पर हम बनाएंगे सरकार का रिपोर्ट कार्ड। आगामी चुनावों में सरकार के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही उन्हें सत्ता की भागीदारी सौंपी जाएगी।

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