मिशन 'ब्लैक-गोल्ड व 'मिशन-केसरिया' बदल रहा बस्तर की तस्वीर
Mission 'Black-Gold' and 'Mission-Saffron' are changing the picture of Bastar
- बस्तर में विकसित काली-मिर्च की वैरायटी 'मां दंतेश्वरी काली-मिर्च-16 ' और बहु उपयोगी पौधा अनाटो लगेंगे बस्तर के गांवों में,
- 7 साल में लगाएंगे 7 लाख पौधे पहले चरण में 25 गांवों के 25 से 50 चयनित किसानों की बाड़ी में लगेंगे पौधे,
- विशेष बात : पौधे मुफ्त हैं! इसको लगाने की ट्रेनिंग भी मुफ्त है! और इसके उत्पादन की शत प्रतिशत मार्केटिंग सुविधा भी मुफ्त है,
- उपयुक्त गांवों के तथा हितग्राहियों के चयन एवं अभियान के क्रियान्वयन में निष्पक्ष मीडिया के साथियों तथा जनप्रतिनिधियों से मांगा जा रहा मार्गदर्शन तथा सहयोग,
प्रायः नक्सली हिंसा के लिए पहचाना जाने वाला बस्तर इन दिनों 'मिशन ब्लैक गोल्ड' तथा 'मिशन-केसरिया' के लिए चर्चित है। पहली नजर में इस खबर को पढ़ने वालों को ऐसा लग सकता है कि शायद यह किसी सरकारी मिशन या अभियान से संबंधित होगा। पर हकीकत तो यह है कि इन दोनों मिशन का इससे दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। दरअसल यह पहल बस्तर के जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए पिछले तीन दशकों से लगातार कार्य कर रही जैविक किसानों की संस्था "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह, समाजसेवी संस्थान "संपदा" एवं स्थानीय मीडिया-संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में की गई । इस समूह के संस्थापक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने इस महत्वाकांक्षी अभियान में सक्रिय सहयोग एवं मार्गदर्शन हेतु स्थानीय मीडिया के सभी साथियों को सादर आमंत्रित कर 23 अगस्त को मां दंतेश्वरी हर्बल परिसर के बईठका हाल में बैठक में अपना प्रस्ताव विस्तार से रखा। जिसे मीडिया के सभी साथियों ने जरूरी चर्चाओं के उपरांत एकमत से स्वीकार किया तथा हर तरफ से मदद देने का आश्वासन भी दिया है।
इस योजना के तहत *मिशन बस्तरिया "ब्लैक-गोल्ड" के तहत 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर' कोंडागांव द्वारा पूरी तरह से बस्तर में ही विकसित की गई तथा देश की अन्य प्रजातियों की तुलना में तीन-गुना तक ज्यादा उत्पादन देने वाली और बेहतरीन गुणवत्ता के कारण पूरे देश में नंबर वन मानी जा रही काली-मिर्च की वैरायटी वैरायटी "मां दंतेश्वरी कालीमिर्च- 16 (MDBP-16)" के पौधे एवं
*"मिशन केसरिया" के तहत इसी संस्थान द्वारा विकसित केवल दो सालों में बहुउपयोगी फल देने वाले तथा दूसरी वैरायटी की तुलना में दुगुना उत्पादन देने वाले "अनाटो (सिंदूरी) की वैरायटी "MDAB-16" के पौधे आसपास के गांवों में चयनित किसानों को निशुल्क बांटा जा रहा है।
समूह की सोच है, कि "हर पेड़ पर काली मिर्च चढ़ाएं - खेती बाड़ी की खाली जगहों में अनाटो लगाएंगे । एक बार पौधा लगाएंगे तो दो-तीन साल में आमदनी होनी शुरू होगी और कम से कम 50 साल तक आमदनी बढ़ते क्रम में प्राप्त करेंगे और घर बैठे बस्तर के सभी परिवारों को समृद्ध बनाएंगे। इससे बस्तर के आदिवासी भाइयों-बहनों को और उनके आगे आने वाली पीढ़ियों को भी बिना अपना गांव घर जंगल जमीन को छोड़े, घर पर ही बिना किसी अतिरिक्त खर्च के पर्याप्त आमदनी वाला रोजगार मिल जाएगा। इससे पेड़ों का कत्ल भी रुक जाएगा और पर्यावरण की रक्षा भी होगी।
इस अभियान की सबसे प्रमुख एवं विशेष बात यह है कि ये पौधे मुफ्त दिए जा रहे हैं! इसको लगाने की ट्रेनिंग भी मुफ्त दी जाती है! और इसके उत्पादन की शत प्रतिशत मार्केटिंग सुविधा भी दिया जा रहा है।
इसके अलावा इच्छुक किसानों को जड़ी बूटियां की खेती की जानकारी, बीज, तथा विपणन भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
औषधीय पौधों के साथ ही "काली-मिर्च" की खेती कोंडागांव में धीरे-धीरे परवान चढ़ रही है। लगभग तीन दशक पूर्व यहां के स्वप्नद्रष्टा किसान वैज्ञानिक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने जैविक खेती व हर्बल खेती के जो नए-नए प्रयोग शुरू किए थे, तभी से उनका एक सबसे प्रमुख सपना था, छत्तीसगढ़ के जलवायु के लिए उपयुक्त 'काली-मिर्च' की नई प्रजाति का विकास तथा उसे छत्तीसगढ़ के किसानों के खेतों पर और बचे- खुचे जंगलों में सफल करके दिखाना । डॉक्टर त्रिपाठी की 25- सालों की मेहनत अब धीरे-धीरे रंग दिखाने लगी है। आज क्षेत्र के कई छोटे छोटे आदिवासी किसान अपने घरों की बाड़ियों में खड़े पेड़ों पर सफलता पूर्वक काली मिर्च की फसल ले रहे हैं और नियमित अतिरिक्त कमाई करने में सफल हुए हैं।
इस मिशन के बारे में डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि हमारे सपने तो काफी बड़े हैं , लेकिन हमारे संसाधन बहुत ही सीमित हैं। इसलिए हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। पहले चरण में हम आसपास के 25 गांव का चयन करेंगे और वहां प्रति ग्राम 25 से लेकर 50 तक चयनित किसानों के घर के साथ लगी बाड़ी में खड़े पेड़ों पर काली मिर्च तथा बाड़ी की बाउंड्री पर अनाटो के पेड़ लगाए जाएंगे। इस वर्ष लगभग 25 पच्चीस हजार पेड़ लगाने की योजना है। इसे क्रमशः उत्तरोत्तर बढ़ते क्रम में आगामी 7 वर्षों तक सभी गांवों लगाया जाएगा। अगर सब कुछ सही रहा तो इन 7 वर्षों में कोंडागांव क्षेत्र काली-मिर्च, मसालों व हर्बल्स का देश का एक बड़ा बाजार बनकर उभरेगा। इससे पर्यावरण भी सुधरेगा। कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन हेतु अनुराग कुमार,जसमती नेताम, शंकर नाग कृष्णा नेताम तथा बलई चक्रवर्ती को कोंडागांव के अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है। डॉक्टर त्रिपाठी ने स्थानीय प्रशासन, सभी माननीय जनप्रतिनिधियों, गैर सरकारी समाजसेवी संस्थाओं तथा प्रबुद्ध नागरिकों से बस्तर की समूची तस्वीर को बदल कर रख देने वाली इस महत्वाकांक्षी अभियान को बढ़-चढ़कर सहयोग तथा मार्गदर्शन देने हेतु अपील की है ।