हिंसा में घायल एसीपी अनुज कुमार ने बताई हिंसा की पूरी कहानी, शहीद हुए हेड कांस्टेबल रतन लाल भी थे साथ

आपको बतादें कि दिल्ली हिंसा में अब तक 42 की मौत हो चुकी है।

Update: 2020-02-29 07:28 GMT

नई दिल्ली : करीब 5 दिन तक दिल्ली तनाव में रही। हिंसा की कहानी 23 फ़रवरी को गढ़ी गई। लोग एकत्र हुए। जफराबाद मेट्रो स्टेशन पर पर भारी संख्या में लोग जुटे। यहीं से हिंसा भड़की और देखते ही देखते दंगे में तब्दील हो गई। इसके बाद दिल्ली के कई इलाके जल उठे। जहां तोड़फोड़, आगजनी, पत्थरबाजी, गोलीकांड आदि का नजारा बखूबी देखा गया।

इस हिंसा में किसी के सर से पिता का साया छिना, तो किसी की गोद उजड़ी, तो किसी की मांग। किसी का भाई छिना, तो किसी ने मां को खोया। दिल्ली में अब शांति है, लेकिन जिन्होंने अपनों को खोया है, वहां चीत्कार है। आंसुओं का सैलाब है। जख्म ऐसे हैं, जो कभी नहीं भरेंगे। दिल्ली दंगे की तस्वीरें और वीडियो झकझोर रहे हैं। आपको बतादें कि दिल्ली हिंसा में अब तक 42 की मौत हो चुकी है।

वहीं, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के चांदबाग इलाके में हिंसा का शिकार हुए एसीपी अनुज कुमार अब सामने आए हैं। हिंसा में खुद घायल हुए एसीपी गोकुलपुरी अनुज ने बताया कि उस दिन डीसीपी अमित शर्मा भी उन्हीं के सामने जख्मी हुए थे। हिंसा में शहीद हुए हेड कांस्टेबल रतन लाल भी उन्हीं के साथ थे। अनुज कुमार की मानें तो प्रदर्शन कर रहे लोग सर्विस लेन से सड़क पर आ गए थे। फिर एक अफवाह फैली कि पुलिस की गोलियों से बच्चे मर गए हैं। इसने हिंसा को वहां भड़का दिया। 

24 तारीख की सुबह साढ़े 11 बजे और 12 बजे के आसपास की बात है। मेरी और रतन और बाकी कर्मचारियों की ड्यूटी चांदबाग मजार से 80 सौ मीटर आगे थे। 23 को वहां पर वजीराबाद रोड को जाम किया था, जिसे देर रात को खुलवाया गया था। उस रास्ते को क्लियर रखन के निर्देश मिले थे।

उन्होंने आगे बताया कि उस दिन धीरे-धीरे काफी लोगो जमा हो गए थे। महिलाएं फ्रंट पर थीं। वजीराबाद रोड के पास वे आने लगे। हमने उन्हें समझाया। वे लगातार आगे बढ़ते रहे। सर्विस रोड की तरीफ हमने उन्हें पीछे करने की कोशिश की। आदेश था कि जो प्रदर्शन है वो सर्विस रोड तक सीमित रहे। 

बच्चों के मरने की अफवाह ने बिगाड़ा खेल

पुलिस ने फायरिंग की और इसमें बच्चे मारे गए हैं इस अफवाह से भीड़ और जमा हो गई। 15 और 20 मीटर का फासला था। फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई। वहां काम चल रहा था, तो बहुत पत्थर थे। जैसे ही पत्थरबाजी शुरू हुई लोग हावी होते चले गए। हम आंसू गैस भी नहीं छोड़ पाए। उसी अफरातफरी में डीसीपी को देखा तो डिवाइडर के पास पड़े थे। उनके मुंह से खून बह रहा था। 

सीधे जाते तो मार दिए जाते: एसीपी

अनुज कुमार ने बताया कि उन्हें यमुना विहार की तरफ भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। वह कहते हैं कि चांदबाग मजार के आसपास इतनी भीड़ थी कि अगर वे लोग सीधे जाते तो मार दिए जाते।

'सर के मुंह से खून देखा, हम होश खो बैठे'

अनुज बताते हैं कि पत्थरबाजी शुरू होने के बाद उनकी नजरें डीसीपी अमित शर्मा को ढूंढ रही थीं। अनुज ने कहा, 'डीसीपी सर के मुंह से खून आ रहा था, उन्हें देखकर हम भी होश खो बैठे। फिर हम डीसीपी सर को लेकर यमुना विहार की तरफ भागे। अगर सीधा रोड पर जाते तो भीड़ हमें मार देती।' 

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