तीन भारतीय फोटो पत्रकारों को 2020 का पुलित्जर पुरस्कार मिला है। तीनों एसोसिएटेड प्रेस के लिए काम करते हैं और कश्मीर की तस्वीरों के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला है। अब भारत में ये तस्वीरे कितनी छपीं, क्यों छपीं या क्यों नहीं छपीं और हिन्दी में कोई छपी भी कि नहीं यह सब अलग मुद्दा है।
कश्मीर में पिछले पांच अगस्त को जो कार्रवाई की गई उसके बाद से वहां जो बंदी और जबरदस्ती चल रही है उसके मद्देनजर इन तस्वीरों और पुरस्कार का खास महत्व है। वैसे भी किसी भारतीय को सम्मानित किया जाना गर्व की बात है। राहुल गांधी ने तीनों विजेताओं को बधाई दी। भारतीयों को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिलना एक बात है और उनके कार्य ये सहमत या असहमत होना बिल्कुल अलग है।
वैसे भी, लिखने में तो कोई समर्थन या विरोध कर सकता है। पर फोटो तो वही होगी जो घटेगा। और जो घटा उसका ना समर्थन हो सकता है ना विरोध उसे देखिए या झेलिए या आंख मूंद लीजिए। इसलिए, पुरस्कार जीतने पर भारतीयों को भाजपा के किसी नेता ने बधाई दी या नहीं मैं नहीं जानता और वह बहुत जरूरी मुद्दा भी नहीं है।
पर मुझे हिन्दी में एक खबर मिली जो दैनिक जागरण की है और खबर का शीर्षक है, पुलित्जर पुरस्कार विजेताओं को बधाई देने पर भाजपा ने राहुल गांधी को घेरा। एक तो भाजपा ऐसे महान काम करती है और दूसरे उसके विज्ञापनों से चलने वाले और कोविद संक्रमण में जरूरी व सुरक्षित माने गए अखबार पुलित्जर पुरस्कार और उसके विजेताओं के बारे में ऐसी खबरें छापते-बताते हैं - यह नोट करने वाली बात है। द टेलीग्राफ ने ऐसी कुछ तस्वीरें छापी हैं।