दिल्ली : कोरोना संक्रमण फैलने की शुरुआत के साथ ही देशभर में 24 मार्च को लागू लॉकडाउन के बाद दिल्ली के शाहीन बाग में CAA के विरोध में 100 दिनों तक जो धरना प्रदर्शन चला था। उस वक्त धरना प्रदर्शनकारियों ने धरने को खत्म करते हुए केंद्र सरकार को चुनौती दी थी कि धरना खत्म नहीं हुआ है। कोरोना महामारी को देखते हुए धरने को रोका जा रहा है, बाद में इसे फिर शुरू किया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन में ढील मिलते ही शाहीनबाग में फिर से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में धरना-प्रदर्शन की तैयारी तेज होने की सुगबुगाहट है। धरना-प्रदर्शन के आसपास के लोगों की मानें तो लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद CAA के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन से जुड़े लोग सक्रिय हो गए हैं। ये लोग पिछले कुछ दिनों से शाहीनबाग के आसपास के क्षेत्र में धरने से जुड़े लोगों के घरों में बैठक कर रहे है और पिछले धरने के दौरान मौजूद हुए लोगों का डाटा जुटा रहे हैं ।
वहीं दिल्ली पुलिस को सीएए के विरोध में धरना प्रदर्शन शुरू होने की भनक लग चुकी है। ठोस सूत्रों की मानें तो दिल्ली पुलिस ने शाहीनबाग धरना प्रदर्शन के लिए पुलिसकर्मियों की एक टुकड़ी तैयार कर ली है। जिसे मौके की नजाकत के अनुसार पुलिस बल का इस्तेमाल किया जाएगा।
इस मामले में दिल्ली के दक्षिणी पूर्वी जिले के डीसीपी राजेंद्र प्रसाद मीणा ने बताया कि फिलहाल इस तरह की किसी भी धरने-प्रदर्शन कि बात ना तो सामने आयी है और ना ही ऐसा कोई मामला है। जिले में सब कुछ शांत है। कहीं किसी तरीके की कोई भी धरने प्रदर्शन की खबर नहीं है।
● 12 दिसंबर 2019 को बना नागरिकता संशोधन विधेयक कानून
नागरिकता संशोधन विधेयक को 10 दिसंबर 2019 को लोकसभा ने पारित किया. राज्यसभा में यह विधेयक 11 दिसंबर 2019 को पारित हुआ. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर 2019 को यह विधेयक कानून बन गया था।
जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों को लगा कि ये विधेयक उनके खिलाफ बनाया गया है। जिससे उनकी नागरिकता खतरे में पड़ सकती हैं। उसके बाद देश की राजधानी दिल्ली के शाहीनबाग को CAA के विरोध में धरना प्रदर्शन का अखाड़ा बनाया गया। सड़कों पर टेंट लगा दिए गए थे। आमजन का रास्ता रोका गया था। उसके बाद शाहीन बाग में लगभग 100 दिनों तक धरना प्रदर्शन चला था।
इस प्रदर्शन का सबसे ज्यादा असर दिल्ली कि आम जनता पर पड़ा था क्योंकि रास्ता बन्द होने के चलते लोगों को काफी दूर का सफर तय करना पड़ता था। वहीं दूसरी तरफ प्रदर्शन का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। इसके बाद सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दो वार्ताकारों को नियुक्त किया था। कोर्ट ने वार्ताकारों से कहा था कि वे प्रदर्शन स्थल पर जाकर प्रदर्शनकारियों से प्रदर्शन खत्म करने के लिए तैयार करें लेकिन वार्ताकार इसमें सफल नहीं हो सके थे।
कुछ दिन बाद ही कोरोना महामारी ने जन्म लिया। जिसने देश विदेश में त्राहि-त्राहि मचा कर रख दिया था। इस महामारी को देखते हुए प्रदर्शनकारियों ने धरने को खत्म करने का फैसला किया था और केंद्र सरकार को चुनौती दी थी कि धरना खत्म नहीं हुआ है। बाद में इसे फिर शुरू किया जाएगा जिसकी सुगबुगाहट अब नजर आ रही है।