Chanakya Niti : जाने चाणक्य नीति के अनुसार कौन से हैं वह काम जो स्त्री और पुरुष को करना चाहिए हमेशा अकेले में
चाणक्य नीति या चाणक्य नीतिशास्त्र चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रन्थ है। संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की कोटि में चाणक्य नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
Chanakya Niti : चाणक्य नीति या चाणक्य नीतिशास्त्र चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रन्थ है। संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की कोटि में चाणक्य नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें सूत्रात्मक शैली में जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिये गये हैं।आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में यह बताया है कि वह कौन से काम है जो अकेले में करनी चाहिए, कब करनी चाहिए और किसके साथ करनी चाहिए ,ऐसा करने पर आपको सफलता मिलना निश्चित है और इसका पालन करने से आप अपने जीवन की कई समस्याओं से समाधान पा सकते हैं।
मनुष्य जीवन पद, परिवार, विद्या और धर्म के इर्द गिर्द घूमता है. इन्हें सुरक्षित रखने के लिए व्यक्ति जी तोड़ मेहनत करता है लेकिन कई बार अथाह प्रयासों के बाद छोटी सी गलती हमारे परिवार और भविष्य को अंधकार में डाल देती है. चाणक्य नीति में इन चारों चीजों को संयोए रखने का अचूक तरीका बताया गया है. चाणक्य ने एक श्लोक के जरिए बताया है कि अगर जीवन को आर्थिक, मानसिक तौर पर सुरक्षित रखना है तो किन चीजों का पालन करना चाहिए.
चाणक्य के अनुसार यात्रा हमेशा चार लोगों के साथ मिलकर ही करनी चाहिए ।अगर आप अकेले यात्रा करेंगे तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। दरअसल दो लोग भी किसी मुसीबत के आने पर उसका सामना ठीक से नहीं कर पाते हैं लेकिन अगर 4 लोग एक साथ होते हैं तो एक दूसरे का सहारा बन जाते हैं.चाणक्य नीति कहती है कि कभी भी जोश में फैसला नहीं लेना चाहिए अगर आपको किसी से लड़ना हो तो अकेले नहीं जाना चाहिए क्योंकि जीत उसकी होगी जिसके पास ज्यादा लोग होंगे।ऐसे में ज्यादा लोगों के साथ होने पर आपके जीतने की संभावना ज्यादा होगी. इसलिए युद्ध पर जाते समय अधिक से अधिक सहायकों को अपने साथ लेकर जाना चाहिए.।
चाणक्य के अनुसार 2 लोगों के साथ में हमेशा पढ़ाई मिलकर करनी चाहिए ज्यादा लोगों के साथ एक स्थान पर बैठकर पढ़ाई करने से सभी का मन भटक सकता है। ऐसे में पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है ।वहीं अगर केवल 2 लोग एक साथ मिलकर पढ़ाई करते हैं तो किसी भी विषय में अटकने पर एक दूसरे की मदद मिल जाती है। चाणक्य के अनुसार तपस्या हमेशा अकेले करनी चाहिए क्योंकि अगर आप कई लोगों के साथ मिलकर तपस्या करेंगे तो आपका ध्यान भटक जाएगा इसलिए हमेशा तपस्या अकेले करनी चाहिए।अगर आप किसी मनोरंजक कार्यक्रम पर जाना चाहते हैं तो 3 लोगों के साथ जाना चाहिए. आचार्य चाणक्य का मानना है कि मनोरंजन के लिए लोगों की संख्या 3 से ज्यादा भी हो सकती है, लेकिन ऐसे में आपको मनोरंजन का पूरा आनंद नहीं मिल सकेगा.