"चैटजीपीटी ने दिखाया ऐप्स को नया रास्ता - क्या है इस दुनिया का भविष्य?"

चैटजीपीटी यानी जनरेटिव एआई बहुत तेजी से हमारी जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है। तकनीक के क्षेत्र में काम करने वाली दुनिया की दिग्गज कंपनियां इसका हर संभव इस्तेमाल कर रही हैं।

Update: 2023-05-09 09:43 GMT

क्या बदल सकती है ऐप्स की दुनिया चैटजीपीटी के प्रयोग से

चैटजीपीटी के बाद कैसे बदल सकती है ऐप्स की दुनिया?

क्या गूगल माइक्रोसॉफ्ट अपनी ऐप्स में करेंगे चैटजीपीटी का प्रयोग?

चैटजीपीटी यानी जनरेटिव एआई बहुत तेजी से हमारी जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है। तकनीक के क्षेत्र में काम करने वाली दुनिया की दिग्गज कंपनियां इसका हर संभव इस्तेमाल कर रही हैं। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट उपभोक्ताओं से जुड़े उत्पादों जेसे आउटलुक, बिंज, एज और जी-मेल समेत अन्य ऐप को इससे लैस करने जा रही है।

विशेषज्ञों का आकलन है कि चैट जीपीटी से लैस ऐप को चलाना आसान होने के साथ समय बचाने वाला साबित हो सकता है। हमें यह भली भाँति समझना होगा कि आधुनिक तकनीक रोजमर्रां के जीवन को आसान और प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

कैसा होगा चैटजीपीटी का उपयोगः ओपन एआई द्वारा तैयार चैट जीपीटी प्लस को इस्तेमाल करने के लिए करीब 20 ङॉलर यानि 1600 रूपये के लगभग प्रतिमाह शुल्क देना होगा। चैटजीपीटी का बेसिक वर्जन अभी मुफ्त है। इसका उपयोग करने के लिए चैट.ओपनएआई.कॉम पर क्लिक करें। खाता खोलने और पेमेंट देने के बाद उपयोग कर सकते हैं। बाकी और भी कंपनियां इसी दिशा में कार्य कर रही हैं। गूगल पाल्म नाम के बॉट पर काम कर रहा है जो चीजों को आसान करेगा।

• माइक्रोसॉफ्ट और गूगल क्या देंगे अपने उपभोक्ताओं कोः

गूगल जनरेटिव एआई से जी-मेल और डॉक्यूमेंट पर ऑटोमेटिक लेखन में सहायता कर रहा है। उदाहरण, एचआर ने चैटजीपीटी को कमांड दिया कि नए कर्मचारी के स्वागत के लिए मेल लिखा जाए तो चैटजीपीटी वेलकम मेल लिखेगा । इसी तरह माइक्रोसॉफ्ट का को-पायलट 365 आउटलुक, वर्ड और एक्सेल को सपोर्ट करता है। कमांड से स्प्रेड शीट खोल सकता है। विषय बताने पर लेख लिखेगा |

• क्या ऐसे उत्पाद बहुत सीमित है

ओपन एआई के चैटजीपीटी की तर्ज पर माइक्रोसॉफ्ट अपने सर्च इंजन बिंग और एज ब्राउजर में पहले ही बॉट का इस्तेमाल कर रहा है। गूगल अपने सर्च इंजन में बार्ड नाम का बाँट लाने की तैयारी में है ।

• तकनीकी दौड़ में कौन भाग रहा आगेः

कागजों में माइक्रोसॉफ्ट आगे है। गूगल एआई जनरेटिव का सीमित स्तर पर परीक्षण कर रहा है। वहीं माइक्रोसॉफ्ट बड़े स्तर पर परीक्षण कर रहा है। गूगल ने 2017 में पहली बार एआई-सिस्टम तैयार किया था।

• उपभोक्ताओं पर क्य़ा प्रभाव डालेंगे ऐसे उत्पादः

गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जनरेटिव एआई के चलन को बढ़ाकर अधिक से अधिक लोगों तक इसे पहुंचाना चाहते हैं।

इंसानों के रोजमर्रा के कार्यों को सरल बनाना इनका मुख्य लक्ष्य है। एआई किसी कर्मी की नियुक्ति के लिए नियुक्ती पत्र लिखता है तो उसे व्यक्ति द्वारा अंतिम रूप दिया जा सकता है।

• क्या एआई बन सकता है लोगों की नौकरी जाने का बड़ा कारण ?

जनरेटिव एआई की लोकप्रियता होने के बाद भी आई.टी कंपनियां सटीकता से दूर हैं। जनरेटिव एआई को गलत उत्तर भी देते देखा गया है। तकनीक कार्य को सुलभ बना सकती हैं लेकिन वह मनुष्यों की जगह लेने को अभी पूर्णतः तैयार नहीं है.

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