संजय सिंह का बड़ा आरोप- पूर्व मंत्री चेतन चौहान की हुई लापरवाहीपूर्ण हत्या, FIR करूँगा

मालूम हो कि पिछले दिनों चेतन चौहान का कोरोना वायरस के चलते निधन हो गया था।

Update: 2020-08-23 14:34 GMT

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने रविवार को बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान की हत्या हुई। संजय सिंह ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है। मालूम हो कि पिछले दिनों चेतन चौहान का कोरोना वायरस के चलते निधन हो गया था।

संजय सिंह ने ट्वीट किया, 'बेहद दुःख की बात है कि योगी जी ने कल उत्तर प्रदेश की जनता को 'नमूना' कहा और जनता का अपमान किया। योगी जी को जनता से माफी मांगनी चाहिए। आज पूरे उत्तर प्रदेश में कोरोना का कहर है।' संजय सिंह ने आगे लिखा, 'पीजीआई में सरकार के मंत्री स्व.चेतन चौहान की लापरवाहीपूर्ण हत्या हुई है। इस मामले में एफआईआर करूंगा।'

इससे पहले, समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने चेतन चौहान के साथ लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में इलाज के दौरान डॉक्टरों द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने का दावा किया था।



सपा के विधान परिषद सदस्य सुनील का एक वीडियो शनिवार को वायरल हुआ था। सुनील ने वीडियो में कहा था कि एक दिन राउंड पर आए डॉक्टर और स्टाफ ने दूर से ही पूछा कि चेतन कौन है। चूंकि मंत्री बहुत सरल स्वभाव के थे इसलिए उन्होंने हाथ खड़ा कर दिया। एक स्टाफ ने चौहान से पूछा कि आपको कोविड-19 संक्रमण कब हुआ। इस पर चौहान ने पूरी बात बताई। तभी एक दूसरे स्टाफ ने पूछा कि चेतन क्या काम करते हो। इस पर चौहान ने बताया कि वह योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री हैं। सुनील ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, 'वह कोरोना से नहीं बल्कि सरकार की अव्यवस्था से हम सब को छोड़ कर गए।'

यूपी सीएम ने साधा था संजय सिंह पर निशाना

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विधानसभा में संजय सिंह का नाम लिए बिना उन्हें नमूना करार दिया था। उन्होंने कहा था कि ये यूपी की बात करते हैं लेकिन दिल्ली में क्या हालत कर दी, उस पर बात नहीं करते। जिन्होंने दिल्ली को बर्बाद किया, जिन लोगों ने यूपी और बिहार के नागरिकों के साथ दुर्व्यव्हार करके जबरन वहां से भगाया, वे बेशर्मी के साथ यहां आकर ऊलजलूल बातें करते हैं। यूपी में प्रति लाख 12 मौतें हुई हैं, जबकि दिल्ली में आंकड़ा 124 है।

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