दिल्ली के स्कूलों को बंद नहीं किया जाएगा, कोरोना स्थिती को देखते हुए होगा फैसला
मनीष सिसोदिया ने कहा है कि हमारा मकसद है कि कोरोना से लड़ाई के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाई भी चलती रहे।
Delhi School Corona Update : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री (Delhi Deputy CM) और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodiya) ने कहा है कि हमारा मकसद है कि कोरोना से लड़ाई के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाई भी चलती रहे। उन्होंने कहा कि इसके लिए छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके इस पर हमारी सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा है कि हम सभी चाहते हैं स्कूल खुले रहें क्योंकि यह सभी के हित में है।
सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने गाइडलाइन (Guidelines) बनायी है कि अगर किसी शिक्ष या छात्र को कोविड संक्रमण (Covid Infection) होता है तो हमारा प्रयास होगा कि हम उस क्लास या विंग को बंद कर काम चलाएं जिससे सभी बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो।
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने यह भी कहा है कि अगर किसी स्कूल में संक्रमण का ज्यादा असर होता है तो उसे बंद करने का फैसला भी लिया जा सकता है, लेकिन यह दिल्ली के सभी स्कूलों के लिए लागू नहीं होगा।
मीडिया से बातचीत में सिसोदिया ने यह भी है कि स्कूोलों में कोरोना संक्रमण फैलने में स्कूल के कर्मचारी भी जिम्मेदार होते हैं। बच्चों में डर होना तो स्वाभाविक है।
शिक्षामंत्री सिसोदिया ने कहा है कि सीबीएसई की गाइडलाइन अभी तक तो कोविड को देखते हुए ठीक है, लेकिन अगले साल के लिए उन्होंने जो फैसला लिया है उसमें मुझे थोड़ी दिक्कत है।
अभी जो सिस्टम है उसके मुताबिक साल में दो बार एवैल्यूएशन किया जाएगा और उसी पर आखिरी नतीजे निकलेंगे, लेकिन अगले साल से सीबीएसई उसको वापस लेने की बात कर रहा है, पर होना यह चाहिए कि एक स्थायी इवैल्यूएशन मैकेनिज्म हो। साल के आखिरी का एग्जाम एक हाईटेक एग्जाम नहीं होना चाहिए बल्कि 12वीं की परीक्षा एक लर्निंग का एग्जाम होना चाहिए।
आपको बता दें कि दिल्ली में हाल फिलहाल के दिनों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि यह अभी शुरूआती चरण में है और अस्पतालों में भर्ती अभी कोरोना लहर की तरह नहीं हो रही है। पर कोरोना के बढ़ते केसों से इस बात पर नई चर्चा छिड़ गयी है कि क्या एनसीआर या दिल्ली के स्कूल फिर बंद हो सकते हैं।
आपको बता दें कि साल 2020 और 2021 में कोरोना लहर के कारण लगे लॉकडाउन और उसके बाद ज्यादातर स्कूल अधिकतर दिन बंद ही थे। इस दौरान बच्चों की पढ़ाई डिजिटल माध्यम से कराई गयी थी पर उस पढ़ाई छात्र और अभिभावक अधिक संतुष्ट नहीं दिखे थे।