सस्टेनेबल मोबिलिटी नेटवर्क और सीएमएसआर कंसल्टेंट्स के एक ताजा सर्वे से जाहिर हुआ है कि उपभोक्ता वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ई-कॉमर्स तथा डिलीवरी कंपनियों द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाते हुए देखना चाहते हैं।
यह सर्वे मुंबई, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु तथा चेन्नई जैसे छह बड़े शहरों में 9048 उपभोक्ताओं पर किया गया। इस सर्वे से पता चला है कि 78% उपभोक्ताओं ने डिलिवरी वाहनों को शहरों में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के एक कारण के तौर पर माना है। वहीं, 67% उत्तरदाताओं ने इस बात का समर्थन किया है कि डिलिवरी कंपनियों को वायु प्रदूषण कम करने और जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए जल्द से जल्द इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना लेना चाहिए।
सीएमएसआर कंसल्टेंट्स के निदेशक गजेंद्र राय ने कहा "ई-कॉमर्स खाद्य एवं रोजमर्रा के सामान की बेहद स्थानीय स्तर पर डिलिवरी का क्षेत्र भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। प्रथम श्रेणी के शहरों में इन ज्यादातर डिलीवरी कंपनियों का प्रमुख बाजार निहित है। इसलिए देश के छह प्रमुख शहरों में किया गया। हमारा सर्वे इन कंपनियों के बारे में उपभोक्ताओं के संपूर्ण नजरिए और इन कंपनियों द्वारा वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे डिलीवरी वाहनों के बारे में इशारा देता है। इस सर्वे के दौरान हमने यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश की कि ज्यादातर उत्तरदाता (94%) 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के हो जो इन कंपनियों के मुख्य उपभोक्ता आधार का फिर से प्रतिनिधित्व करें।"
शुरू में इस सर्वे को ऑफलाइन (89%) माध्यम से प्रत्यक्ष साक्षात्कार के जरिए किया गया। इस दौरान यह भी पाया गया कि बहुत बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं (93%) का मानना है कि किसी एक कंपनी द्वारा इस रूपांतरण की दिशा में तेजी से काम करने से अन्य कंपनियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा और इससे इस क्षेत्र में तेजी से बदलाव संभव होगा। उत्तरदाताओं ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि कंपनियों द्वारा अपने डिलिवरी वाहनों के बेड़े के सामाजिक रूप से न्याय संगत रूपांतरण किए जाने की जरूरत है। 38% उत्तरदाताओं ने इस बात पर जोर दिया कि कंपनियों को अपने डिलिवरी पार्टनर/कर्मचारियों के लिए या तो इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदना चाहिए या फिर पट्टे पर ले लेना चाहिए। वहीं 31% उत्तरदाताओं का कहना था कि कंपनियों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए अपने डिलिवरी साझेदारों को वित्तीय प्रोत्साहन मुहैया कराना चाहिए। इसके अलावा 19% उत्तरदाताओं ने कहा कि डिलिवरी साझेदारों को अपने वर्तमान डिलिवरी वाहनों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों में तब्दील करने के लिए मदद दी जानी चाहिए।
झटका.ओआरजी की अभियान निदेशक दिव्या नारायणन ने कहा "खराब गुणवत्ता की हवा और जलवायु परिवर्तन का हम सभी पर असर पड़ रहा है। सर्वे से जाहिर होता है कि लोग यह चाहते हैं कि डिलीवरी कंपनियां अपने काम को साफ सुथरा करें। डिलिवरी कंपनियों को अपने डिलिवरी साझेदारों की इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में मदद करनी चाहिए। इससे उन्हें और भी ज्यादा कमाई करने में भी मदद मिलेगी क्योंकि इससे उन्हें दिन-ब-दिन महंगे होते पेट्रोल और डीजल के खर्च से भी छुटकारा मिलेगा।"
उपभोक्ताओं ने जिन प्रमुख कंपनियों का बार-बार जिक्र किया उनमें अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्विगी, और जोमैटो प्रमुख रहीं। इसके अलावा जिन अन्य कंपनियों की भी बात हुई उनमें बिग बास्केट, डुंजो, ब्लिंकिट, ग्रोफर्स, जिओमार्ट, मिल्कबास्केट, ब्लूडार्ट, फेडेक्स और गति इत्यादि शामिल हैं।
क्लाइमेट ग्रुप में बिजनेस इनीशिएटिव्स के प्रमुख अतुल मुडालियर ने कहा "यह सही समय है कि सभी ई-कॉमर्स और खाद्य पदार्थ डिलिवरी कंपनियां अपने सामान की डिलिवरी के लिए प्रदूषणमुक्त रास्ते तलाशे। इस सर्वे में यह पाया गया है कि हर तीन में से दो उपभोक्ता यह मानते हैं कि उन्होंने जो सामान खरीदा है, उससे प्रदूषण में वृद्धि हुई है और वह किसी ना किसी तरह से जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। उपभोक्ताओं का मानना है कि कंपनियां डिलिवरी के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिक तेजी से अपनाकर ज्यादा योगदान दे सकती हैं। जहां फ्लिपकार्ट और जोमैटो जैसी प्रमुख कंपनियों ने ईवी 100 के अनुरूप वर्ष 2030 तक अपने सभी वाहनों को 100% इलेक्ट्रिक बनाने का ऐलान किया है। भारत में राज्य की नीतियों ने अब आदेश देना शुरू कर दिया है। जल्द ही डिलिवरी कंपनियों के पास इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के सिवा और कोई चारा नहीं रहेगा। ब्रांड के प्रति सचेत रहने वाले ज्यादातर व्यवसाय अपने उपभोक्ताओं की राय पर प्रतिक्रिया करेंगे। इससे जुड़ा सिर्फ एक ही सवाल है कि वह यह काम कब और कितनी जल्दी शुरू करेंगे। रिपोर्ट इस बात को बिल्कुल साफ कर देती है कि उपभोक्ता आखिर क्या चाहते हैं।
सर्वे में यह भी पाया गया है कि मुंबई (66%), पुणे (78%) और दिल्ली (78%l में लोगों का कहना है कि वे ऐसी कंपनियों को सामान खरीदने में तरजीह देंगे जो इस बात का संकल्प व्यक्त करेंगी कि वह अपने डिलिवरी वाहनों को तेजी से डीकार्बनाइज करने के राज्य सरकार के लक्ष्य के अनुरूप काम कर रही हैं।
महाराष्ट्र ने वर्ष 2025 तक ई-कॉमर्स डिलिवरी और लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं के लिए 25% इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं, दिल्ली की मोटर व्हीकल एग्रीगेटर स्कीम के मसौदे में एक अप्रैल 2030 तक 100% इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लक्ष्य के साथ ई-कॉमर्स और लास्ट माइल डिलीवरी एग्रीगेटर्स के लिए ईवी रूपांतरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
दिव्या नारायणन ने कहा "उपभोक्ता राज्य सरकारों की उन नीतियों का समर्थन कर रहे हैं जिनके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों में रूपांतरण के लक्ष्य और निर्देश निर्धारित किए गए हैं। हमें चाहिए कि ई-कॉमर्स और डिलिवरी क्षेत्र बदलाव को लेकर जनता की जोरदार इच्छा के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाएं। यह नीति आयोग द्वारा निर्धारित निर्देश के अनुरूप भी है। यह महत्वपूर्ण है कि विभिन्न कारोबार अपने लास्टमाइल और संपूर्ण उत्सर्जन के समाधान के लिए सरकारों के करीबी सहयोग से काम करें और उत्सर्जन को कम करने के लिए स्पष्ट और समय बद्ध योजनाओं के प्रति संकल्पबद्ध रहें।"
सर्वेक्षण विवरण :
● उत्तरदाताओं की प्रोफाइल :
○ 42 प्रतिशत उत्तरदाता 26-35 आयु वर्ग में, 27 प्रतिशत 18-25 आयु वर्ग में, 24 प्रतिशत 36-45 आयु वर्ग में और 6 प्रतिशत उत्तरदाता 46 वर्ष से अधिक आयु के थे।
○ उत्तरदाताओं में 58 प्रतिशत पुरुष थे और 42 प्रतिशत महिलाएं थीं। पुणे में पुरुष उत्तरदाताओं का प्रतिनिधित्व सबसे अधिक (83%) था, जबकि महिला उत्तरदाताओं की सबसे ज्यादा संख्या मुंबई (70%) में थी।
● पुणे की प्रतिक्रिया:
○ पुणे में ऐसे उत्तरदाताओं का उच्चतम प्रतिशत (85%) है जो मानते हैं कि डिलीवरी वाहनों से होने वाला उत्सर्जन वायु की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
○ पुणे में ऐसे उत्तरदाताओं का प्रतिशत सबसे ज्यादा (99%) है, जो मानते हैं कि अगर कोई एक कंपनी तेजी से ईवी को अपनाती है तो इससे अन्य कंपनियों के बीच भी ऐसा करने की एक लहर पैदा होगी।
○ पुणे में ऐसे उत्तरदाताओं का प्रतिशत सबसे अधिक (77%) है, जो यह मानते हैं कि कंपनियों को अपने बेड़े को ईवी में बदलने के लिए सक्रिय होने की जरूरत है।
○ पुणे में 78 प्रतिशत और मुंबई में 66 प्रतिशत उत्तरदाता ऐसी डिलिवरी कंपनियों से खरीदारी करना पसंद करेंगे जो महाराष्ट्र ईवी नीति में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की प्रतिज्ञा करते हैं, जिनके तहत वर्ष 2025 तक कंपनियों को अपने बेड़े में शामिल वाहनों के 25 प्रतिशत हिस्से को इलेक्ट्रिक वाहनों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है।
● कोलकाता की प्रतिक्रिया:
○ कोलकाता में उत्तरदाताओं का प्रतिशत सबसे कम (63%) है, जो यह मानते हैं कि डिलिवरी वाहनों से होने वाला उत्सर्जन वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
○ कोलकाता में डिलिवरी कम्पनियों द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को लेकर शुरू की गयी पायलट परियोजनाओं और पहल के बारे में जागरूकता का स्तर सबसे कम (5 प्रतिशत) है।
○ कोलकाता में ऐसे उत्तरदाताओं का प्रतिशत सबसे कम (81%) है, जो मानते हैं कि अगर कोई एक कंपनी तेजी से ईवी को अपनाती है तो इससे अन्य कंपनियां भी ऐसा करने के लिये प्रोत्साहित होंगी।
● दिल्ली की प्रतिक्रिया:
○ दिल्ली के प्रतिभागियों को वायु प्रदूषण के मुद्दों का काफी ज्ञान था। उन्होंने वायु प्रदूषण के कई अन्य कारणों का हवाला दिया, जैसे कि- औद्योगिक कचरा, पंजाब और हरियाणा जैसे आस-पास के राज्यों में फसल अवशेषों को जलाना, लैंडफिल को जलाना, शहर की भू-भौगोलिक स्थिति, बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधियाँ, और वाहनों के उत्सर्जन के साथ विशेष रूप से सर्दियों के दौरान प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों का जिक्र किया गया।
○ दिल्ली में उत्तरदाताओं का दूसरा सबसे बड़ा प्रतिशत (76%) है, जो मानते हैं कि कंपनियों को अपने बेड़े को ईवी में बदलने के लिए सक्रिय होने की आवश्यकता है।
○ दिल्ली के लगभग 78 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे भविष्य में उन डिलिवरी कंपनियों से खरीदारी करना पसंद करेंगे जो दिल्ली की ड्राफ्ट एग्रीगेटर नीति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने का वचन देती हैं।
● मुम्बई की प्रतिक्रिया :
○ मुंबई में 66 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे ऐसी डिलिवरी कंपनियों से खरीदारी करना पसंद करेंगे जो महाराष्ट्र ईवी नीति में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की प्रतिज्ञा करते हैं, जिनके तहत वर्ष 2025 तक कंपनियों को अपने बेड़े में शामिल वाहनों के 25 प्रतिशत हिस्से को इलेक्ट्रिक वाहनों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है।
● बेंगलूरू की प्रतिक्रिया :
○ बेंगलूरू में ऐसा दूसरा सबसे अधिक प्रतिशत (उत्तरदाताओं का 17.5%) है, जो मानते हैं कि डिलिवरी वाहनों से होने वाला उत्सर्जन वायु गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करता है। यह सी-स्टेप के हालिया शोध के विपरीत है कि बेंगलूरू में सम्पूर्ण वायु प्रदूषण के 50% से अधिक हिस्से के लिये वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
○ बेंगलूरू के 94% उत्तरदाताओं का मानना है कि ईवी में रूपांतरण की दिशा में एक कंपनी द्वारा सकारात्मक कार्रवाई और प्रतिबद्धता अपनाये जाने से इस क्षेत्र की अन्य कंपनियों के बीच इस रूपांतरण को अपनाने की प्रक्रिया में तेजी लायी जा सकती है।
● चेन्नई की प्रतिक्रिया :
○ चेन्नई के 89% उत्तरदाता यह मानते हैं कि डिलिवरी के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाया जाना वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
● 5 भारतीय शहरों के लिए लास्ट माइल वितरण उत्सर्जन पर हालिया शोध का अनुमान है :
शहर अनुमानित पार्सल की वार्षिक संख्या (अरबों में) अनुमानित लास्ट माइल वितरण उत्सर्जन (टी सीओ2 राउंडेड)
दिल्ली 0.6 110,000
मुंबई 0.4 80,000
कोलकाता 0.3 60,000
बैंगलोर 0.2 50,000
चेन्नई 0.2 40,000