क्या आप जानते हैं भारत के सबसे पहले आईएएस ऑफिसर को?? कौन थे वह और यूपीएससी को जानते थे पहले किस नाम से ??
पहले देश में ब्रिटिश हुकूमत थी तब सिविल सर्विसेज एग्जाम केवल अंग्रेजी ही दे सकते थे. उनका ही केवल अधिकार था कि वह सिविल सर्विसेज की परीक्षा दें इस परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय युवा सत्येंद्र नाथ थे
First IAS Officer of India: पहले देश में ब्रिटिश हुकूमत थी तब सिविल सर्विसेज एग्जाम केवल अंग्रेजी ही दे सकते थे. उनका ही केवल अधिकार था कि वह सिविल सर्विसेज की परीक्षा दें इस परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय युवा सत्येंद्र नाथ थे जो एक कवि भी थे उन्होंने अपने कई कवि रचनाएं भी की थी।
जाने उनके बारे में कुछ और इंटरेस्टिंग फैक्ट
First IAS Officer of India: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाने के लिए हर साल लाखों युवा सपने संजोते हैं और वह इसके लिए जी जान लगा देते हैं। वह दिन रात मेहनत करते हैं और अपना जीवन त्यागमय बना लेते हैं लेकिन तब भी पहले प्रयास में सफलता मिल जाए यह जरूरी नहीं है। सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल है। इस परीक्षा में यूं तो लाखों भारतीय शामिल होते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि वह भारतीय युवा कौन थे जिन्होंने सबसे पहली बार यूपीएससी की परीक्षा को पास किया? आज हम आपको बताएंगे कि कौन है वह??
सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत साल 1855 में अंग्रेजों ने की थी। इस परीक्षा का आयोजन लंदन में किया जाता था जबकि भारत उस समय स्वतंत्र नहीं हुआ था। इसका पहली बार आयोजन साल 1922 में हुआ। पहले इसे इंडियन इंपेरियल सर्विसेस के नाम से जाना जाता था। शुरुआत में भारतीय इस परीक्षा को नहीं दे सकते थे। इंडियन इंपिरियल सर्विसेज एग्जाम का सिलेबस इस तरह से तैयार किया जाता था कि इसमें यूरोपियन ही को ज्यादा नंबर मिले। इस सिविल सेवा परीक्षा को सबसे पहले पास करने वाले भारतीय सत्येंद्र नाथ टैगोर थे उन्होंने इस परीक्षा को साल 1863 में पास किया था।
सत्येंद्रनाथ मूल रूप से कोलकाता के निवासी थे उन्होंने परीक्षा पास करने के बाद 1864 में सिविल सेवक के रूप में आइएएस सर्विस को ज्वाइन किया। टैगोर ने एक गीत मिले सबे भारत संतान लिखा था, जो कि अनौपचारिक भारत का पहला राष्ट्रीय गान बना था.ब्रिटिश हुकुमत में प्रशासनिक सेवाओं के लिए ट्रेनिंग लंदन के कॉलेज में ही दी जाती थी. तब लंदन के हेलबरी कॉलेज को ट्रेनिंग देने के लिए चुना गया. सत्येंद्र नाथ टैगोर द्वारा सिविल सेवा पास करने के 3 साल बाद 4 भारतीयों ने पास की थी.
पहले सिविल सर्विस का एग्जाम देना भारतीयों को अलाउड नहीं था क्योंकि अंग्रेज नहीं चाहते थे कि भारतीय किसी भी चीज में आगे निकले। उन्होंने इसका पैटर्न कुछ इस तरह बनाया था कि केवल यूरोपियन लोग इसे पास कर पाए और वही इसमें ज्यादा नंबर लाएं ताकि आईएएस बनने का अवसर उन्हें ही मिले।