Gandhi Jayanti Special Coverage: क्या हम गांधी जयंती मनाने के हकदार हैं ?
क्या हम गांधी जयंती मनाने के हकदार हैं ? गांधी की समाधि से बामुश्किल दस किलोमीटर दूर राजधानी दिल्ली में 10 साल के बच्चे की एलएनजेपी अस्पताल में जिस हालात में मौत हुई मौत हुई और वह मौत महज एक अखबार की डबल कालम खबर बन कर रह गई- यह विचार करने की बात है किहो गई। बच्चे का 18 सितंबर को तीन नाबालिग दोस्तों ने अपहरण किया था। उसके साथ कुकर्म किया। विरोध करने पर बच्चे की जमकर पिटाई की थी। आरोपियों ने हैवानियत की हदें पार कर दीं थी। उन्होंने बच्चे के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड भी डाली थी।
यह घटना और इसके प्रति समाज की कोताही बानगी है कि हमारे जीवन में गांधी कहीं नहीं हैं . दुर्भाग्य से वह मोमबत्ती गिरोह जिसने निर्भया की लाश को अपने सत्ता आरोहन का जरिया मान लिया था और जब स्कूलों में नैतिक शिक्षा के विज्ञापन देता है , वह इससे बेखबर है गुजरात की सताता लूटने की फिराक में .
18 सितंबर को 10 साल के मासूम छात्र के साथ हैवानियत का मामला सामने आया था। शाम को क्रिकेट खेलने के बहाने पड़ोस के कुछ लड़कों ने उस बच्चे को बुलाया था। आरोप है कि तीन लड़कों ने न सिर्फ मासूम के साथ बेरहमी से कुकर्म किया बल्कि उसके निजी अंग में लोहे की रॉड डाल दी। लड़के को रॉड और ईंटों बुरी तरह पीटा गया।
मां के पूछने पर दीवार से गिरने की बात कही। उसे एक डॉक्टर को दिखाया। इस बीच उसकी टांगों और निजी अंग में दर्द होने लगा। इसके बावजूद उसने घटना के बारे में परिजनों को नहीं बताया। उसे डर था कि आरोपी उसके माता-पिता को जान से मार सकते हैं। मां के बार-बार पूछने पर उसने बताया कि पड़ोस में रहने वाले तीन दोस्तों ने उसके साथ सामूहिक कुकर्म किया।
डर की वजह से छात्र ने किसी को कुछ नहीं बताया। तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल ले गए। शुरुआत में परिवार ने मामला ही दर्ज कराने से इनकार कर दिया था। लेकिन काउंसलिंग कराने पर परिवार एफआईआर दर्ज कराने को तैयार हुआ। पुलिस ने कुकर्म व पॉक्सो समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज दो नाबालिग लड़कों को पकड़ लिया। दोनों लड़कों को जेजे बोर्ड में पेश किया गया, जहां से उनको बाल सुधार गृह भेज दिया गया। यह बच्चा सरकारी स्कूल में कक्षा ५ में पढता था और मौत से पहले उसने अपना एक वीडियो बना कर उसके साथ हुए कुकर्म का ब्यौरा दिया था , वह वीडियो मैं जानबूझ कर सार्वजनिक नहीं कर रहा हूँ , बेहद भयावह है .
मृतक की बहन ने बताया कि उसका भाई पढ़ने में बेहद होशियार था। वह अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल आता था। वह हमेशा कहता था कि वह बड़ा होकर पुलिस अफसर बनेगा। साथ ही वह इलाके में गश्त करने वाले पुलिसकर्मियों से पुलिस अफसर बनने के बारे में पूछताछ रहता था। बच्चे की मौत के बाद से परिवार सदमे में है।
यह राजधानी की घटना है जहां अब लड़की तो क्या लड़के भी सुरक्षित नहीं हैं . जान लें नाबालिग के साथ हुए दुष्कर्म, कुकर्म व उसकी हत्या के लिए जिम्मेदार नाबालिगों पर मुकदमा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में ही चलेगा। इनकी सजा भी अधिकतम तीन साल ही हो सकती है।
आज गांधी समाधि पर फूल चढाने जाने वालों का असल में उस बस्ती में जा कर लोगों से बात करनी चाहिए लेकिन नेता तो विज्ञापन दे कर अपनी तस्वीर अखबार में छपवाने और अपने कुकर्म पर खबर न छपने देने को सुनिश्चित कर ही गांधी जयंती मना लेते हैं . मेरा प्रयास रहेगा कि अभी उस मोहल्ले में जा कर इस तरह से बच्चों की परवरिश , उनके मानसिक स्वास्थ्य, नशा करने वाले बच्चों का पुनर्वास पर बात कर सकूँ . यह तो तय है कि हमारे राजनेता अपनी कोई सामाजिक जिम्मेदारी समझते नहीं , तभी संवेदनशील घटनाओं में महज वोट सूंघ कर हल्ला गुला करते हैं