अनुदेशक के खिलाफ सरकार की अपील पर मई में नहीं हुई सुनवाई, जुलाई में होगी पहले अनुदेशक की याचिका की सुवनाई
अनुदेशक केस में सरकार और अनुदेशक आमने सामने
अनुदेशक के हाईकोर्ट के डबल बैंच के खिलाफ उत्तर प्रदेश की सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई। यह अपील उसने 29 मार्च को सबमिट की। उसके बाद इस अपील पर कोर्ट के द्वारा एक दर्जन से ज्यादा इफेक्ट लगा दिए जिस पर सरकार खामोश थी क्योंकि बिना इफेक्ट पूरे किये अपील स्वीकृत नहीं होती है। जबकि सरकार इन इफेक्ट को हटवाने में प्रयासरत नहीं थी क्योंकि इसी के चलते एक दो साल मामला उलझ सकता था।
इसी दौरान अनुदेशक भी सुप्रीम कोर्ट अपनी एसएलपी लेकर पहुंचे, जिसको लेकर सरकार पहले दिन से सतर्क थी। अनुदेशक के बीच का ही कोई यह सब बातें सरकार तक आदान प्रदान कर रहा था। जिससे सरकार को भनक लग गई। इस दौरान अनुदेशकों की एसएलपी पर भी एक दर्जन इफेक्ट लगे जिसे देखकर लगा कि याचिका नामंजूर हो जाएगी। लेकिन बदहाल अनुदेशक की किस्मत ने साथ दिया और उनकी याचिका मंजूर हो गई।
उसके बाद सरकार को अपनी अपील की चिंता सताने लगी सरकार के वकीलों ने लगकर इफेक्ट पर काम शुरू करने का मन बनाया ही था कि अनुदेशकों की याचिका का नोटिस पहुँच गया। नोटिस देखकर सरकार परेशान हो गई और उसने आनन फानन में अपनी अपील स्वीकृत कराई। अब अपील में अनुदेशकों ने फिर खेल खेल दिया जिसमें एक कैविएट लगाकर सर्विस मैटर के जाने माने वकील पीएस पटवालिया को प्रस्तुत कर दिया। इसके बाद अब अपील की सुनवाई मई में नहीं हो सकी। अब जुलाई में कोर्ट खुलने के बाद पहले अनुदेशक की एसएलपी सुनी जाएगी उसके बाद शायद उसी आमें यह अपील जोड़ दी जाएगी।
वहीं कोर्ट के जानकार लोगों का मानना है कि सरकार के नोटिस का जबाब आते है कोर्ट 17000 हजार देने का आदेश जारी करके केस सुनवाई जारी रख सकता है। ताकि अनुदेशकों का सोशण रोक जाए। फिलहाल अनुदेशकों के पचड़े से सरकार भी परेशानी में फँसती नजर आ रही है अब तक सरकार ओर कोर्ट कोर्ट के खेल में सरकार स्लो स्लो लड़ रही थी अब लड़ाई जल्द दे जल्द निपटने की उम्मीद ही नहीं आशा भी दिख रही है।