शपथ ग्रहण से पहले केजरीवाल का यू टर्न, BJP के सामने इस तरह झुकी AAP

आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को रामलीला मैदान में लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।

Update: 2020-02-16 07:16 GMT

नई दिल्ली।आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को रामलीला मैदान में लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के छह मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई। पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया और अन्य मंत्रियों गोपाल राय, सत्येन्द्र जैन, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और राजेन्द्र पाल गौतम ने भी केजरीवाल के साथ नवगठित सरकार के मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की

लेकिन सीएम पद की शपथ लेने वाले अरविंद केजरीवाल सरकार बनने से पहले ही अपने एक फैसले पर विवादों में घिरते नजर आए. केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में शिक्षकों के शामिल होने के मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार बैकफुट पर आ गई है. अब सरकार ने शिक्षकों की अनिवार्य उपस्थिति को निमंत्रण में बदल दिया है।


नए आदेश में अब शिक्षकों की अनिवार्य उपस्थिति को निमंत्रण में बदल दिया गया है. सरकार के नए फैसले में साफ कहा गया है कि अब रामलीला मैदान में शिक्षकों की एंट्री के दौरान अटेंडेंस नहीं लगाई जाएगी. अब शपथ ग्रहण समारोह में शिक्षकों का आना स्वैच्छिक हैं. उनकी कोई हाजिरी नहीं लगेगी. सरकार ने बीजेपी के कड़े विरोध के बाद नया आदेश जारी किया है.

बता दें कि, दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने रामलीला मैदान में 16 फरवरी (रविवार) को होने वाले अरविंद केजरीवाल और उनकी कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह में स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को निमंत्रण दिया था. डीओई के सर्कुलर के अनुसार, स्कूलों के प्रधानाचार्यों, उप प्रधानाचार्यों, इंटरप्रेनरशिप माइंडसेट करिकुलम कोर्डिनेटर्स, हैप्पीनेस कोर्डिनेटर्स और शिक्षक विकास समन्वयक समेत 20 अन्य लोगों को लाने के लिए कहा गया था. साथ ही कहा गया था कि रामलीला मैदान में शिक्षकों की एंट्री के दौरान अटेंडेंस भी ली जाएगी।य़

हालांकि बीजेपी ने इसका जमकर विरोध किया. दिल्ली की पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को जारी किए गये इस परिपत्र को 'तानाशाही' करार दिया है. उन्होंने कहा कि इससे उनका यह विश्वास 'चकनाचूर' हो गया है कि सत्ता में आने के बाद केजरीवाल का जोर शासन और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत बनाने पर होगा. गुप्ता ने कहा, 'इस आदेश की वजह से, 15000 शिक्षकों और अधिकारियों को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना होगा.'

साथ ही शपथ ग्रहण समारोह में सरकारी स्कूल के शिक्षकों को बुलाए जाने के मामले पर कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा था. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह के लिए दिल्ली के सरकारी स्कूलों को शिक्षकों को भेजने का आदेश दिया गया है ताकि शपथ ग्रहण के दौरान भीड़ जुटाई जा सके।


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