नई दिल्ली। दिल्ली में 18 अप्रैल तक के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू कर दिया गया है। इस कानून के तहत अगर दिल्ली पुलिस को शक होता है कि किसी व्यक्ति से देश की सुरक्षा को खतरा है तो वो उसे हिरासत में रख सकती है।
क्या कहा दिल्ली पुलिस ने
दिल्ली पुलिस का कहना है कि नेशनल सिक्योरिटी एक्ट का नोटिफिकेशन एक रूटीन प्रक्रिया है ,जिसका हर तीन महीने में नोटिफिकेशन निकलता है,यानी ये हर तीन महीने में रिन्यू होता है,सालों से होता आ रहा है,इसका सीएए या चुनाव से कोई लेनादेना है।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत संदेह के आधार पर किसी को भी हिरासत में रखने का अधिकार दिल्ली पुलिस आयुक्त को दिया है. सूत्रों ने बताया कि रासुका कानून ऐसे व्यक्ति को एहतियातन महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है, जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रीय राजधानी में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं.
10 जनवरी को जारी की गई थी अधिसूचना
अधिसूचना के मुताबिक, उपराज्यपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 की धारा तीन की उपधारा (3) का इस्तेमाल करते हुए 19 जनवरी से 18 अप्रैल तक दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार दिया. यह अधिसूचना राज्यपाल की मंजूरी के बाद 10 जनवरी को जारी की गई थी. हालांकि, दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह नियमित आदेश है जो हर तीन महीने पर जारी किया जाता है और मौजूदा परिस्थितियों से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
रासुका का मतलब राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) है. इसमें हिरासत में लिए व्यक्ति को अधिकतम एक साल जेल में रखा जा सकता है. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है.
कब बना था ये कानून
देश में कई प्रकार के कानून बनाए गए हैं. ये कानून अलग-अलग स्थिति में लागू किए जाते हैं. इनमें से एक रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून है. 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान इसे बनाया गया था. ये कानून देश की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. अगर सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति उन्हें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है. साथ ही यदि सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा खड़ी कर रहा है को वो उसे हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है. इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकते हैं।