निर्भया केस: कल फांसी देकर पवन जल्लाद तोड़ देगा अपने दादा का रिकॉर्ड

पवन ऐसे परिवार का सदस्य है जिसकी चार पीढ़ियां फांसी देती आ रही हैं। पवन के परदादा लक्ष्मणराम अपने परिवार में जल्लाद का काम करने वाले पहले शख्स थे।

Update: 2020-03-19 14:44 GMT

नई दिल्ली। निर्भया के चार दोषियों को बीस मार्च को सुबह पांच बजकर तीस मिनट पर फांसी होगी, फांसी पर चढ़ाकर मेरठ का पवन जल्लाद अपने दादा कालूराम का रिकॉर्ड तोड़ेगा। कालूराम ने एकसाथ दो दोषियों को फांसी दी थी। पवन एक साथ चार दोषियों को फांसी पर चढ़ाएगा।

पवन ऐसे परिवार का सदस्य है जिसकी चार पीढ़ियां फांसी देती आ रही हैं। पवन के परदादा लक्ष्मणराम अपने परिवार में जल्लाद का काम करने वाले पहले शख्स थे। तब देश में अंग्रेजी हुकूमत थी। दिल्ली के जीसस मेरी कॉलेज की स्टूडेंट्स गीता चौपड़ा व उनके भाई संजय चौपड़ा की हत्या करने वाले कुख्यात अपराधी रंगा-बिल्ला को लक्ष्मणराम के बेटे कालूराम ने फांसी पर लटकाया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह और षड़यंत्र रचने वाले केहर सिंह को भी कालूराम ने फांसी पर चढ़ाया था।

कालूराम ने बाद में यह काम बेटे मम्मू सिंह को सौंप दिया। मम्मू ने आखिरी बार साल-1997 में जबलपुर के कांताप्रसाद तिवारी को फांसी दी थी। मम्मू की मौत से पहले ही दादा कालूराम ने पौत्र पवन को जल्लाद के लिए तैयार कर लिया था। पवन ने बताया कि उसके दादा ने एकसाथ दो लोगों को फांसी पर लटकाया था, लेकिन वह चार दोषियों को एकसाथ फांसी देकर यह रिकॉर्ड तोड़ेगा। 58 साल के पवन बताते हैं कि पहली बार वह आगरा जेल में 1988 में गए थे। उस वक्त रेप के आरोपी जुम्मन को फांसी देने उसके दादा गए थे। 

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