जानिए निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को अब नही होगी फांसी

राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद भी उसे 14 दिनों की मोहलत मिलनी चाहिए. ताकि इस दरमियान वो अपने घरवालों से मुलाकात और बाकी काम कर सके।

Update: 2020-01-15 08:12 GMT

नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप और हत्‍या के दोषी मुकेश की ओर से दिल्‍ली हाई कोर्ट में डेथ वारंट को चुनौती दी गई थी, जिसपर बुधवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोषी के वकील रेबेका जॉन की दलिलों पर बेहद तल्‍ख सवाल किए. दरअसल, मुकेश की तरफ से कहा गया था कि 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन इसलिए दाखिल नहीं हो पाई, क्योंकि जो दस्तावेज तिहाड़ जेल प्रशासन से मांगे गए थे वो समय पर नहीं मिले.

तब जज ने सवाल किया- सुप्रीम कोर्ट 2017 में फैसला सुना चुका है. 2018 में पुनर्विचार अर्जी खारिज हो चुकी है. फिर क्यूरेटिव और दया याचिका दाखिल क्यों नहीं की गईं. क्या दोषी डेथ वारंट जारी होने का इतंजार कर रहे थे ? सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के मुताबिक, एक वाजिब समय सीमा में इन कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल हो जाना चाहिए. न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि आपकी आपराधिक अपील को 2017 में खारिज कर दिया गया था. आपने अपनी क्यूरेटिव और दया याचिकाएं क्यों नहीं दाखिल कर लीं? आप 2.5 साल से क्या कर रहे थे? कानून आपको केवल उपचारात्मक और दया याचिका दायर करने के लिए एक 'उचित' समय प्रदान करता है.

उसमें केवल दया याचिका का जिक्र था

वहीं, मुकेश की तरफ से कहा गया कि तिहाड़ जेल ने जो नोटिस सभी को सर्व किया था उसमें केवल दया याचिका का जिक्र था, क्यूरेटिव का नहीं. साथ ही मुकेश की वकील ने कहा कि 5 जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट बंद था और अगले दिन 6 जनवरी को खुला. इसी बीच विन्द्रा ग्रोवर ने तिहाड़ जेल प्रशासन से क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के लिए मुकेश के कुछ दस्तावेज मांगे थे. तभी 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट डेथ वारंट जारी कर दिया।

मुकेश की वकील ने कहा कि इस फैसले के मुताबिक आखिरी सांस तक दोषी को अपनी पैरवी का अधिकार है. राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद भी उसे 14 दिनों की मोहलत मिलनी चाहिए. ताकि इस दरमियान वो अपने घरवालों से मुलाकात और बाकी काम कर सके। दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि दया याचिका लंबित रहने पर जेल नियमों के अनुसार फांसी नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि सरकार 21 जनवरी को निचली अदालत में पक्ष रखेंगे। अधिवक्ता ने कहा कि यदि दया याचिका खारिज हो जाती है तो भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, 14 दिन का वक्त नया डेथ वारंट जारी करने के लिए देना होगा।

कोर्ट में दिल्ली सरकार और केन्द्र ने कहा कि मौत की सजा पर अमल के आदेश के खिलाफ याचिका समय से पहले दायर की गई। इस मामले के चारों अभियुक्तों- विनय शर्मा, मुकेश कुमार, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को फांसी की सजा निर्धारित की गई है। 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी क्योंकि दिल्ली की एक अदालत सात जनवरी को उनके मृत्यु वारंट जारी कर चुकी है।

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