पीएम मोदी के जुमले: एमएसपी थी, है रहेगी, अर्थ समझ जाइए कागज पर थी, है ,और कागज पर रहेगी: योगेंद्र यादव,

Update: 2021-03-20 11:00 GMT

● बाजरे की फसल में किसानो के साथ पिछले 20 दिन में 40 करोड़ की लूट।

● खरीफ़ के सीजन में अब तक बाजरे की फसल में देश के किसान की 529 करोड़ रूपये की लूट हो चुकी है।

● सबसे ज्यादा नुकसान राजस्थान के किसानो को, 19 करोड़ का नुकसान पिछले 20 दिन में।

● प्रधानमंत्री मोदी के जुमले 'एमएसपी थी, है और रहेगी', अर्थ समझ जाइए: कागज पर थी, कागज पर ही है और कागज पर ही रहेगी.

सरकार ने बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी ₹2150 निर्धारित किया था। लेकिन देश के सभी मंडियों में किसान को औसतन ₹1236 ही मिल पाए। यानी कि किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण ₹914 का घाटा सहना पड़ा।

1 मार्च से 20 मार्च के बीच किसान को बाजरा एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से 40 करोड रुपए का घाटा हुआ। इस साल खरीफ की फसल में बाजरे पर किसान के साथ अब तक 529 करोड रुपए की लूट हो गई है।

बाजरा उत्पादन वाले मुख्य प्रदेशों में राजस्थान के किसान की स्थिति सबसे बुरी थी क्योंकि उसे औसतन केवल ₹1186 ही मिल पाए यानी राजस्थान के बाजरा उत्पादक किसान को ₹964 प्रति क्विंटल की लूट सहनी पड़ी। इन 20 दिनों में राजस्थान के बाजरा उत्पादक किसान की कुल ₹40 करोड़ की लूट हुई जबकि उत्तर प्रदेश और गुजरात के किसान कि 10 करोड़ और ₹3 करोड़ की लूट हुई। (पूरी सूचना संलग्न तालिका में है)।



जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री मोदी या भाजपा के प्रवक्ता ताल ठोक कर कहते हुए मिलें कि 'एमएसपी थी, है और रहेगी', तो उसका अर्थ समझ जाइए: एमएसपी जैसी थी, वैसी ही है और ऐसी ही रहेगी। कागज पर थी, कागज पर ही है और कागज पर ही रहेगी। #MSPLootCalculator प्रधानमंत्री के हवाई दावे का भंडाफोड़ करता है।

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