यूपीपीएससी पीसीएस रिजल्ट हुए आउट, छठे स्थान पर अपना नाम बनाने वाली सल्तनत परवीन की कहानी है कुछ हटकर

जैसा कि सभी जानते हैं कि यूपीपीएससी के नतीजे आ चुके हैं और इस बार टॉप टेन में से 8 लड़कियों ने जगह बनाई है.लखनऊ की रहने वाली सल्तनत परवीन ने छठे नंबर पर अपना स्थान बनाया है.

Update: 2023-04-08 10:49 GMT

जैसा कि सभी जानते हैं कि यूपीपीएससी के नतीजे आ चुके हैं और इस बार टॉप टेन में से 8 लड़कियों ने जगह बनाई है.लखनऊ की रहने वाली सल्तनत परवीन ने छठे नंबर पर अपना स्थान बनाया है. सल्तनत की कहानी काफी रोचक है. उन्होंने बताया कि उनके सलेक्शन में खबरों का विशेष योगदान रहा है.

UPPSC Result 2022: जामिया से कोचिंग हासिल करने वाली परवीन को मिली 6वीं रैंक

UPPSC Result 2022: सल्तनत पर्वीन का मानना है कि, अगर परिवार साथ दे, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है.सल्तनत परवीन लखनऊ के अलीगंज इलाके में रहती हैं और उन्होंने यूपीपीसीएस में छठा स्थान प्राप्त किया है. उन्होंने न्यू वे सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है. परवीन बचपन से ही काफी होशियार थी और पढ़ने में भी काफी अच्छी थी. उन्होंने इंटरमीडिएट हाईस्कूल दोनों मे अच्छे अंक प्राप्त किए। इसके बाद सल्तनत में लखनऊ की ही इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से 2016 में बीटेक किया। इसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।

सल्तनत का यह चौथा प्रयास था और उन्होंने इस परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली। सल्तनत के पिता मोहम्मद शमीम खान की एक जनरल स्टोर की दुकान है और माँ घर पर रहकर घर संभालती हैं। जामिया मिलिया से आरसीए को उत्तीर्ण करके सल्तनत ने सिविल की तैयारी शुरू की थी.

सल्तनत ने बताया कि, प्रारंभिक परीक्षा के आब्जेक्टिव सवाल की वजह से उनके सिलेक्शन में देरी हुई है. सल्तनत ने मुख्य परीक्षा में मानव विज्ञान विषय लिया था. वो कहतीं हैं कि, अगर परिवार साथ दे, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. साथ ही वो कहतीं हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि परीक्षा कठिन होती है लेकिन आप अगर मेहनत से पढ़ाई करते हैं और खुदपर यकीन है तो सफलता जरूर मिलती है.

वैसे आपको बता दें कि इस बार यूपीपीसीएस में 10 में से 8 स्थानों पर लड़कियों ने अपनी जगह बनाई है। वही इस बार प्रथम स्थान दिव्या सिकरवार ने बनाया है जो आगरा की रहने वाली हैं। दिव्या ने 2 साल तक अपने आप को कमरे में बंद रखा और पढ़ाई की यह उनका तीसरा प्रयास था। बेटियों की इस तरह के की सफलता पर सभी को नाज है। दिव्या के पिता राज्यपाल सिकरवार कहते हैं कि वह बहुत खुश हैं। उनकी बेटी ने उनके घर परिवार का और उनका नाम हर जगह ऊंचा किया है। वह कहते हैं कि बेटे और बेटी में कभी कोई फर्क नहीं समझना चाहिए ।उन्होंने दिव्या के पढ़ाई और पालन पोषण में कभी कोई कमी नहीं रखी। बेटी का मन बचपन से ही पढ़ाई में लगता था तो उन्होंने उस को आगे बढ़ने में हमेशा उसकी मदद की।

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