सयुंक्त किसान मोर्चा के नेता एवं भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जिस भारतीय जनता पार्टी ने किसानों को सड़क पर आंदोलन करने के लिए मजबूर किया है. उस भारतीय जनता पार्टी के समर्थित उम्मीदवारों को जिला पंचायत चुनाव में वोट ना देकर सबक सिखाएं किसान एवं गांव के लोग.
युद्धवीर सिंह ने कहा कि हम विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव में नए कृषि कानूनों की सच्चाई उजागर कर रहे हैं. उसी क्रम में पंचायत चुनाव में भी हम जनता से अपील करते हैं कि भाजपा को सजा देना बेहद जरूरी है. क्योंकि देश की खेती किसानी एवं गांव के अस्तित्व को समाप्त करने हेतु भारतीय जनता पार्टी ने एक जन विरोधी काले कृषि कानून को पास किया.
सयुंक्त किसान मोर्चा ने मनाई आंबेडकर जयंती
सम्युक्त किसान मोर्चा, गाजीपुर बार्डर पर डा अम्बेडकर की 130वीं जन्म तिथि के अवसर पर उन्हें हर्ष और उत्साह के साथ, गीत गाकर, नीले झण्डे व बंधी मुट्ठियां उठाकर तथा उनके जीवन व संघर्षों को याद करते हुए जय, जय, जय, जय, जय भीम के नारे लगाकर याद किया गया।
इस अवसर पर लगाए गए बैनर पर डा अम्बेडकर के दो बयान लिखे थे - 'सरकार को उचित भूमिका निभाते हुए, किसनों के लिए ऐसी स्थिति, नीतियां और योजनाएं बनानी चाहिये कि किसान उचित दाम पर अपनी फसल को बेच सकें' और 'मेरा जीवन वंचित, शोषित, वर्ग की भमि, शिक्षा और रोजगार के अधिकारों के लिए होने वाले संघर्ष के लिए समर्पित है'।
कार्यक्रम की शुरूआत उनकी प्रतिमा पर नेताओं व लोगों द्वारा फूल चढ़ाकर की गयी। उसके बाद एसकेएम सदस्य, डा0 आशीष मित्तल ने बताया कि कैसे मुनावादी जाति व्यवस्था ने भारत में उत्पीड़ित लोगों के अधिकाराों व श्रम के दाम घटाने के लिए एक बनी-बनायी व्यवस्था दी, जिसका देश में हर शासक ने इस्तेमाल किया, उनका धर्म चाहें जो रहा हो। उन्होंने समझाया कि वे जाति उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष के एक महान प्रेरक रहे हैं और उन्होंने दलितों की शिक्षा, महिलाओं के लिए बराबर के सम्पत्ति अधिकारों और समाज में सभी के बराबर के दर्जे व अधिकारों की संवैघानिक गारंटी के संघर्ष के लिए रास्ता दिखाया।
बहुजन समाजवादी मंच, बसम, ने पहले मंच सम्भाला जिसमें कई साथियों ने बयान दिये, गीत गाए और बताया कि स्वतंत्रता, समानता और समाजवाद के दुनिया भर के सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक डा0 अम्बेकर थे। वे केवल जाति सवाल के प्रतीक नहीं थे। उन्होंने सरकार की निजीकरण करने व कल्यांण योजनाओं को समाप्त करने की निन्दा करते हुए कहा कि इससे गरीबों की सरकारी सुविधाएं काटी जा रही हैं और आरक्षण द्वारा शिक्षा तथा रोजगार के संवैधानिक अधिकार को समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भ्रह्मणवाद और पूंजीवाद, दोनों ही देश के मेहनतकश लोगों का दुश्मन है और मांग की कि सरकार खेती के 3 काले कानून और मजदूरों के 3 लेबर कोड वापस लिए जाएं। मुख्य वक्ता थे सोनू प्रधान, दुश्यन्त गौतम और संजीव बौध।
इसके बाद भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर रावण ने सभी किसानों, जमीन वाले और भूमिहीनों, दोनों को सरकार की नीतियों के विरुद्ध कंधे से कंधा मिलाकर एकताबद्ध संघर्ष करने की अपील की और कहा कि ये नीतियां किसानों और कृषि मजदूरों की जीविका छीन रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किये जा रहे संघर्ष के प्रेरणास्रोत डा0 अम्बेडकर हैं जिन्होंने सम्मान के साथ जीने की शिक्षा दी थी।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सभी भाईयों का संघर्ष में एक होने की सराहना की और सरकार को चेतावनी दी कि वह कोरोना का भय दिखाकर किसानों के धरने को उखाड़ने का दुस्साहस ना करें। गाजीपुर किसानों का अपना घर व गांव बन चुका है और जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक किसान यहीं डटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत पहले किसानों और मजदूरों का देश है।
बहुजन नेता उदित राज की सहयोगी डा0 ओम सुधा ने भी इस अवसर पर सभा को संबोधित किया। जगतार बाजवा ने सभी महमानों का स्वागत करते हुए कहा कि संविधान में दिये अधिकारों की हम सब को रक्षा करने के लिए संघर्ष करना चाहिये। उन्होंने किसानों के इस संघर्ष को, वर्तमान सरकार द्वारा संवैधानिक अधिकारों को छीने जाने के विरुद्ध, उनकी रक्षा के लिए अब तक का सबसे बड़ा संघर्ष बताया।