पटना: अयोध्या केस (Ayodhya Case) में छह अगस्त से चल रही नियमित सुनवाई सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो गई है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि 17 नवंबर से पहले फैसला आ सकता है, क्योंकि इस दिन चीफ जस्टिस रिटायर हो रहे हैं. अयोध्या केस का पटना कनेक्शन फिर से स्थापित हो रहा है.
पहले तो पटना साहिब से वर्तमान सांसद और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में राम जन्म भूमि मामले में वकालत की थी.वहीं, बुधवार को मुस्लिम पक्ष के वकील ने जिस नक्शे को सुप्रीम कोर्ट में फाड़ दिया उसे पूर्व आईपीएस अधिकारी और पटना के महावीर मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष किशोर कुणाल की लिखी किताब Ayodhya Revisited से निकालकर अदालत में पेश किया गया था.
पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने अपने किताब 'Ayodhya Revisited' में इस बात का दावा किया है कि 6 दिसंबर 1992 को जिस विवादित ढांचे को तोड़ा गया था, वह बाबरी मस्जिद नहीं थी. कुणाल ने अपने इस किताब में कहा कि इस बात के पर्याप्त सूबत हैं कि यहां पर राम मंदिर विराजमान था.
आपको बता दें कि किशोर कुणाल की यह किताब 2016 में प्रकाशित की गई थी. इस किताब में लिखा गया है कि अयोध्या स्थित राम मंदिर को 1528 में मीर बाकी ने ध्वस्त नहीं किया था, बल्कि इसे 1660 में औरंगजेब के रिश्तेदार फिदाई खान ने तोड़ा था.
आज सुप्रीम कोर्ट में किशोर कुणाल की किताब और उसमें दिए गए नक्शे को दलील के दौरान पर पेश किया गया, जिसे देखते ही मुस्लिम पक्ष के वकील भड़क गए और उन्होंने इसे फाड़ दिया.