...तो क्या कांग्रेस इस फॉर्मूले से जीतेगी गुजरात विधानसभा चुनाव?
गुजरात में अगले महीने 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव होना है। इसके लिए सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने की प्रक्रिया में लग गए हैं। कांग्रेस की जीत पक्की करने के लिए राहुल गांधी...
गुजरात : गुजरात में अगले महीने 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव होना है। इसके लिए सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने की प्रक्रिया में लग गए हैं। कांग्रेस की जीत पक्की करने के लिए राहुल गांधी हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार जैसे-जैसे चरम पर पहुंच रहा है, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी नए तेवर और नए अंदाज में नजर आ रहे हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है पार्टी में वोटों का गुणा भाग भी तेज हो रहा है। गुजरात चुनाव को लेकर चुनावी विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा पहली बार चुनाव में देखने को मिल रहा है कि कांग्रेस जातिगत समीकरणों को अपने पाले में करने के लिए इतने हाथ-पैर मार रही है वह भी खुले तौर पर।
लेकिन सच्चाई भी ये है की हिंदुत्व की प्रयोगशाला रहे गुजरात को बीजेपी के हाथों से छीनने के लिए कांग्रेस के पास सिवाए इसके कोई रास्ता भी नहीं है और हाल ही में हुई घटनाक्रमों से सामाजिक तानेबाने में नए तरह का उभार भी देखने को भी मिल रहा है।
एक ओर जहां पाटीदारों का आरक्षण के लिए आंदोलन है तो दूसरी ओर दलितों के साथ हुई घटनाओं के बाद से इस समाज में काफी नाराजगी है। इस चुनाव में कांग्रेस के सामने एक यह भी बड़ी चुनौती है कि गुजरात में उसके पास कॉडर के नाम पर कुछ भी नहीं है उसके पास इतने समर्थित कार्यकर्ता नहीं है जो वोटरों को पोलिंग बूथ तक पहुंचा सकें। इसलिए उसे पाटीदार और दलित संगठनों से हर हाल में हाथ मिलाना ही होगा।
अगर गुजरात में वोटों की गणित की बात करें तो लगभग 40 फीसदी ओबीसी की आबादी है जो कम से कम 70 सीटों को प्रभावित कर सकते हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि दलित नेता अल्पेश के आ जाने से इस इलाके में फायदा होगा। वहीं इससे बीजेपी के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस से अलग हो गए हैं। माना जाता है कि पिछली बार कांग्रेस को शंकर सिंह वाघेला की वजह से भी फायदा हुआ था। लेकिन इस बार शंकर सिंह वाघेला खुद जन विकल्प पार्टी बनाकर मैदान में हैं। बीजेपी को लगता है कि वाघेला उसके खिलाफ पड़ने वाले वोटों को काट देंगे और इससे फायदा हो सकता है।
अब कांग्रेस के जीत के फॉर्मूले की बात करें तो चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2002 में बीजेपी की वोट हिस्सेदारी कांग्रेस के मुकाबले 10 से 11 प्रतिशत ज्यादा थी। ऐसे में महज 6 प्रतिशत वोटों के कांग्रेस की तरफ झुकाव से बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है और कांग्रेस के पास इस झटके को देने के लिए जातिगत समीकणों के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। लेकिन अभी कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि अभी गुजरात में PM मोदी का तूफानी चुनाव प्रचार होना बाकी है जैसा वह करते आए हैं।
आपको बता दें 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों में 9 और 14 दिसंबर को होगा। वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी। पहले फेज़ में 19 जिले में वोटिंग होगी, तो वहीं दूसरे फेज़ में 14 जिले में वोट डाले जाएंगे। अब ये देखना बड़ा दिलचप्स होगा कि इस सियासी उठा पटक के बीच गुजरात चुनाव में कौन सी पार्टी बाजी मारेगी।
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