हरियाणा सरकार 63 दिन पहले क्यों हुई बर्खास्त, राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने का किया ऐलान

Update: 2024-09-13 04:40 GMT

 हरियाणा राज्यपाल ने कैबिनेट की सिफारिश के बाद विधानसभा भंग करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके मुताबिक सीएम नायब सिंह सैनी अगली सरकार बनने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे. दरअसल, हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले चुनाव से पहले कैबिनेट ने विधानसभा भंग करने को मंजूरी दे दी थी. इसके बाद कैबिनेट ने राज्यपाल से भी हरियाणा विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी.

हरियाणा कैबिनेट ने हरियाणा विधानसभा भंग करने की सिफारिश राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय से की थी. इस सिफारिश को राज्यपाल ने मान लिया है और विधानसभा भंग करने का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. इसमें कहा गया है, "भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 के खण्ड (2) के उप खण्ड (ख) द्वारा मुझे प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं बंडारु दत्तात्रेय, राज्यपाल हरियाणा द्वारा विधानसभा का तत्काल विघटन करता हूं."

जानें क्यों कैबिनेट भंग करेंगे सीएम सैनी

हरियाणा विधानसभा का आखिरी सत्र 13 मार्च को बुलाया गया था. संवैधानिक रूप से छह महीने में एक बार विधानसभा सत्र बुलाना जरूरी है. इसलिए सरकार के लिए 12 सितंबर तक सदन की बैठक बुलाना जरूरी है. ऐसे में इस संवैधानिक संकट टालने के लिए मुख्यमंत्री को राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करनी होगी. विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए.

संवैधानिक संकट टालने के लिए मुख्यमंत्री को राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करनी होगी. संविधान के अनुच्छेद 174 (1) में स्पष्ट उल्लेख है कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए.

बता दें कि हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान होगा. चुनाव आयोग ने पहले हरियाणा के लिए 1 अक्टूबर को मतदान कराने की घोषणा की थी. वहीं नतीजे 4 अक्टूबर को आने थे. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ था. यहां भी नतीजे 4 अक्टूबर को ही आने थे. लेकिन अब आयोग ने तारीखों में बदलाव किया है.

हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 को समाप्त होने वाला है. पिछला विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में हुआ था. चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी के गठबंधन ने राज्य सरकार बनाई और मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने. हालांकि बाद में समीकरण बदले तो पार्टी ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया.


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