कोरोना वायरस का अमेरिका समेत पूरी दुनिया पर सबसे बड़ा खतरा, कभी भी डूब सकते है 210 लाख करोड़ रुपये
बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्पोरेशन के अर्थशास्त्रियों ने अपने चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन के कोरोना वायरस की वजह से ग्लोबल ग्रोथ गिरकर 2.8 फीसदी पर आ सकती है. अगर ऐसा होता है तो ये साल 2009 के बाद सबसे कम रहेगी.
नई दिल्ली. चीन से शुरू हुआ जानलेवा कोरोना वायरस (China Coronavirus Impact) का कहर अब 47 देशों तक फैल चुका है. दुनिया भर में इस वायरस के कारण 82,294 संक्रमण के मामले पाए गए हैं. वही, चीन में अब तक 2,747 मौतें हो चुकी हैं. लेकिन दूसरी ओर इसका असर अब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था (China Coronavirus World Economy impact) पर भी दिखने लगा है. क्योंकि, वायरस फैलने के डर से बिजनेस गतिविधियां धीमी हो गई है. इसीलिए भारत समेत ग्लोबल शेयर बाजार (Global Stock Market Crash) में भारी गिरावट आई है. इस गिरावट में जहां अमेरिका के शेयर में बाजार 2 लाख करोड़ डॉलर डूब चुके है. वहीं, भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को शुक्रवार के दिन 4 लाख करोड़ रुपये और हफ्ते में 11 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि भारत के लिए खास बड़ा खतरा फिलहाल नज़र नहीं आ रहा है. मौजूदा समय में निवेशकों के पास खरीदारी के बेहतर समय हैं. क्योंकि ये वायरस 30 डिग्री में मरने लगता है और भारत में ज्यादातर जगहों पर तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है.
एक हफ्ते में डूबे लाखों करोड़ रुपये
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक साल 2008 के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजारों के लिए यह सबसे खराब हफ्ता रहा है. गुरुवार के सत्र में अमेरिका के शेयर बाजारों में 1000 अंक से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. वहीं, इस हफ्ते अमेरिकी शेयर बाजारों में निवेशकों के 1.7 लाख करोड़ डॉलर (करीब 121 लाख करोड़ रुपये) स्वाहा हो चुके है.
एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट आई है. ऑस्ट्रेलिया का प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स ASX 200 पिछले 5 दिन में 20,000 करोड़ डॉलर (14.2 लाख करोड़ रुपये) डुबो चुका है. इसकी मार्केट कैप 2 लाख करोड़ डॉलर (142 लाख करोड़ रुपये) के नीचे आ गई है.
70 से 79 साल की उम्र के 3573 से ज्यादा लोग और 80 साल से ज्यादा उम्र के 6611 लोग चीन में कोरोनावायरस के शिकार बने हैं.70 से 79 साल की उम्र के 3573 से ज्यादा लोग और 80 साल से ज्यादा उम्र के 6611 लोग चीन में कोरोनावायरस के शिकार बने हैं.
वीएम पोर्टफोलियो के रिसर्च हेड विवेक मित्तल का कहना हैं कि कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में बिजनेस एक्टिविटी कम हो गई है. इससे ग्लोबल इकोनॉमी में बड़ी गिरावट का अनुमान लगयाा जा रहा है. आपको बता दें कि अगर बिजनेस गितिवधिया थमेगी तो कारखानों में उत्पादन बंद हो जाएगा. लिहाजा कंपनियों की आमदनी पर असर होगा. वहीं, कर्मचारियों को वेतन समय पर नहीं मिलेगा. लिहाजा पूरा बिजनेस सिस्टम गड़बड़ा सकता है.
और कभी भी डूब सकते हैं 210 लाख करोड़ रुपये
क्वार्ट्ज की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट आती रही तो कॉर्पोरेट डेट बढ़ता चला जाएगा. इससे अमेरिका और यूरोप में कंपनियों के प्रमोटर्स 3 लाख करोड़ डॉलर (करीब 210 लाख करोड़ रुपये) का डिफॉल्ट कर सकते है.
दुनिया पर मंडरा रहा है 10 साल का सबसे बड़ा संकट
बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्पोरेशन के अर्थशास्त्रियों ने अपने क्लाइंट को चेतावनी देते हुए कहा है कि ग्लोबल ग्रोथ गिरकर 2.8 फीसदी पर आ सकती है. ये साल 2009 के बाद सबसे कम रहेगी. वहीं, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की जीडीपी ग्रोथ गिरकर साल 1990 के निचले स्तर पर रहने का अनुमान है. उनका कहना हैं कि ये सब बिजनेस एक्टिविट थमने से ग्लोबल ट्रेड घटने की वजह से होगा.
क्या होगा भारत पर असर -
अर्थशास्त्री और ग्लोबल रिसर्च रिपोर्ट में बताया जा रहा हैं कि भारत में इसका ज्यादा असर नहीं होगा. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना हैं कि इससे घरेलू अर्थव्यवस्था के कुछ सेक्टरों में थोड़ी दिक्कत हो सकती है. लेकिन, इन समस्याओं से निपटने के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार किया जा रहा है. जानलेवा वायरस के चलते दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थम गई है और इसका असर हर इंडस्ट्री पर दिख रहा है.
चीन सहित बड़ी संख्या में दूसरे देशों में भी कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज हैं. इन देशों में सिंगापुर, हांगकांग, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, वियतनाम, अमेरिका, फ्रांस, मकाऊ, कनाडा, यूएई, इटली, फिलिपींस, भारत, यूके, रूस, स्पेन, नेपाल, कंबोडिया, बेल्जियम, फिनलैंड स्वीडन और श्रीलंका शामिल है.चीन सहित बड़ी संख्या में दूसरे देशों में भी कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज हैं. इन देशों में सिंगापुर, हांगकांग, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, वियतनाम, अमेरिका, फ्रांस, मकाऊ, कनाडा, यूएई, इटली, फिलिपींस, भारत, यूके, रूस, स्पेन, नेपाल, कंबोडिया, बेल्जियम, फिनलैंड स्वीडन और श्रीलंका शामिल है.
आरबीआई के गवर्नर के मुताबिक, यह ऐसा मामला है कि जिस पर हर एक पॉलिसीमेकर, चाहे वह भारत के हों या फिर दूसरे देश के हों, को करीब से नजर रखने की जरूरत है. दास बोले कि ऐसी ही समस्या छोटे स्तर पर पिछली बार 2003 में सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) के प्रकोप के रूप में सामने आई थी. उस साल चीन की इकनॉमिक ग्रोथ में 1 फीसदी की कमी आई थी.
दास ने कहा कि चीन भारत का महत्वपूर्ण कारोबारी पार्टनर है. दोनों सरकारों के नीति निर्माता ताजा हालातों पर नजर रख रहे हैं. अगर चीन समस्या से निपटने में कामयाब होता है तो ग्लोबल इकनॉमी और भारत पर सीमित असर होगा. भारत पर असर के बारे में दास ने कहा कि फार्मास्यूटिक सेक्टर चीन से कच्चा माल सोर्स कर रहा है.
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कोरोना वायरस पर सलाह देते हुए कहा है कि इस समय मैं सबसे अच्छी बात यह कहूंगा कि सरकारें जो भी कर सकती हैं, वह अर्थव्यवस्थाओं को बेलआउट देने के उपायों के बारे में चिंता नहीं करें, बल्कि वायरस से लड़ने के उपायों के लिए काम करें. आपको बता दें कि बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में रघुराम राजन फिलहाल पढ़ा रहे है. प्रोफेसर राजन ने कहा, ' एक सप्ताह से हम दुनिया भर के बाजारों को लेकर दहशत में हैं हमें इससे उबरना होगा'
राजन ने ब्लूमबर्ग टेलीविज़न को दिए इंटरव्यु में कहा है कि लोग चाहते हैं कि इस वायरस के प्रसार की एक सीमा हो सकती है क्योंकि रोकथाम के उपायों के कारण या शायद ऐसी उम्मीद है कि किसी तरह का वायरल समाधान मिल सकता है.