आदिवासी क्षेत्रों के लिए 5.15 अरब रुपये का सौर ऊर्जा कार्यक्रम हुआ स्वीकृत
Solar energy program worth Rs 5.15 billion approved for tribal areas
एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में भारत सरकार ने आदिवासी समुदायों के जीवन में उजाला करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनजन्म) के तहत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के आवासों और गांवों के लिए 5.15 अरब रुपये के सौर ऊर्जा कार्यक्रम को मंजूरी दी है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन क्षेत्रों में 1 लाख पीवीटीजी घरों को बिजली पहुंचाना है जहां ग्रिड के माध्यम से बिजली आपूर्ति तकनीकी-आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है।
यह कार्यक्रम 0.3 किलोवाट के ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा प्रणालियों के माध्यम से गांवों को बिजली प्रदान करेगा। इसका मतलब है कि इन दूरस्थ क्षेत्रों में परिवार अब रात में पढ़ाई कर सकेंगे, व्यवसाय बेहतर तरीके से चला सकेंगे और स्वास्थ्य सेवाओं तक आसानी से पहुंच पाएंगे। यह पहल न केवल रोजमर्रा के जीवन को आसान बनाएगी बल्कि स्थानीय उद्यमिता को भी बढ़ावा देगी। कारीगर और छोटे उद्योग अब टिकाऊ आजीविका के रास्ते पर चल सकेंगे।
मुख्य बिन्दु:
एमएनआरई इस कार्यक्रम के लिए धनराशि अपनी विकास कार्य योजना से लेगा। इसे तीन वर्षों में वितरित किया जाएगा - 2023-24 में 200 मिलियन रुपये, 2024-25 में 2.55 बिलियन रुपये और 2025-26 में 2.4 बिलियन रुपये। यह समर्पित बजट लाइन पीएम जनमन के लिए खोली गई है।
- पीएम जनजन्म कार्यक्रम के माध्यम से 100,000 पीवीटीजी परिवारों को सौर ऊर्जा प्रणालियां उपलब्ध कराई जाएंगी।
- यह कार्यक्रम भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- सामाजिक और आर्थिक विकास के अलावा, यह पहल पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाएगी।
- इस कार्यक्रम ने देश के हर कोने में विकास की रोशनी फैलाने का मिशन लिया है।
एमएनआरई इस कार्यक्रम के लिए धनराशि अपनी विकास कार्य योजना से लेगा। इसे तीन वर्षों में वितरित किया जाएगा - 2023-24 में 200 मिलियन रुपये, 2024-25 में 2.55 बिलियन रुपये और 2025-26 में 2.4 बिलियन रुपये। यह समर्पित बजट लाइन पीएम जनमन के लिए खोली गई है।